जिला मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने एक वाहन मालिक को निर्देश दिया है कि उसके वाहन की टक्कर से 2008 में जिस पुलिस सिपाही की जान गयी थी उसके परिवार को 36 लाख रूपये दिये जाए। हरजाने की भरपाई के दायित्व से बीमा कंपनी को मुक्त कर दिया गया र्है। जिला न्यायाधीश एवं न्यायाधिकरण सदस्य के डी वदने ने हाल के एक आदेश में सतोष मारधेकर को नंदकुमार ठाकुर :52: के परिवार को 36 लाख रूपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया।
न्यायाधिकरण ने ठाकुर के परिवार द्वारा दायर मुआवजे के दावे को खारिज कर दिया और रिलायंस जनरल इंश्योरेंस को राशि के भुगतान की देनदारी से मुक्त कर दिया। न्यायाधिकरण ने कंपनी की इस दलील पर भरोसा किया कि पालिसी फर्जी है।दावाकर्ता के वकील के अनुसार ठाकुर हैड कांस्टेबल की तरह काम काम करता था और उसका वेतन 35823 रूपये प्रति माह था।
ठाकुर 22 मार्च 2013 को जब मनकुर्द घाटकोपर लिंक रोड पर जा रहा था तो तेज गति से जा रहे एक चौपहिया वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी। उन्हें हादसे में गंभीर चोट आयी तथा उपचार के दौरान तीन अपै्रल को उनकी मौत हो गयी।वाहन के मालिक ने अपना कोई हलफनामा पेश नहीं किया और अपने इस दावे के पक्ष में कोई सबूत भी नहीं दिया कि उसने वाहन का बीमा कराया था। इसके बाद न्यायाधिकरण ने वाहन मालिक को अपने पास से 36 लाख रूपये का हर्जाना देने को कहा।