महाराष्ट्र में कैबिनेट का गठन हो चुका है और बीजेपी और शिंदे गुट के 9-9 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली है। महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल भी सरकार में मंत्री बन चुके हैं और पार्टी को उनकी जगह पर नए अध्यक्ष की तलाश है। आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय नेतृत्व एक ओबीसी नेता को प्रदेश में पार्टी की कमान सौंपना चाहता है।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मराठा समुदाय से हैं जबकि उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ब्राह्मण हैं। इसलिए राज्य में जातिगत संतुलन को बनाए रखने के लिए पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर किसी ओबीसी चेहरे को नियुक्त करना चाहती है। महाराष्ट्र में ओबीसी मतदाता बड़ी संख्या में हैं। महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अनुसार राज्य में ओबीसी की आबादी 38-40 फीसदी है, जबकि मराठा समुदाय की आबादी 33 फीसदी है।
भाजपा ने हमेशा अपने ओबीसी वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश की है। इस तथ्य को देखते हुए कि कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के पास पारंपरिक रूप से राज्य में मराठों के बीच मजबूत नेतृत्व और समर्थन हासिल रहा है। पिछले कई वर्षों में भाजपा ने मराठा समुदाय विशेषकर मराठवाड़ा क्षेत्र में पैठ बनाई है। 2019 के विधानसभा चुनावों में कुल 288 सीटों में से 106 सीटें जीतकर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में भी उभरी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने राज्य की कुल 48 सीटों में से 23 सीटों पर जीत हासिल की थी।
पिछले साल की शुरुआत में शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के कार्यकाल के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के स्थानीय निकायों में अपने “ट्रिपल टेस्ट” मानदंडों को पूरा नहीं करने के लिए 27% ओबीसी आरक्षण को खत्म कर दिया था। तब से राज्य में एक राजनीतिक विवाद चल रहा था, जिसमें तत्कालीन प्रमुख विपक्ष के रूप में भाजपा ने इस मुद्दे पर एमवीए सरकार पर निशाना साधा था।
राव साहब दानवे और चंद्रकांत पाटिल दोनों मराठा समुदाय से हैं, इसलिए भाजपा का मानना है कि कमान अब पार्टी नेतृत्व को ओबीसी नेता को सौंपने का समय है। इस संबंध में चंद्रशेखर बावनकुले और राम शिंदे जैसे नेताओं के नाम चर्चा में हैं। चंद्रशेखर बावनकुले, जो विदर्भ क्षेत्र के रहने वाले हैं, फडणवीस सरकार में ऊर्जा मंत्री थे। ये तेली समुदाय (ओबीसी) से ताल्लुक रखते हैं। महाराष्ट्र में अभी बीजेपी और शिंदे की नजर बीएमसी चुनाव पर है।
2019 के विधानसभा चुनावों में चंद्रशेखर बावनकुले को भाजपा के टिकट से वंचित कर दिया गया था, जिसने विदर्भ की कई सीटों पर पार्टी को नुकसान पहुँचाया, जो मुख्य रूप से तेली और कुनभी बहुल थीं। पार्टी ने बाद में उन्हें राज्य विधान परिषद (एमएलसी) का सदस्य और राज्य इकाई में महासचिव बनाकर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की।
राज्य भाजपा अध्यक्ष पद के लिए दूसरे सबसे आगे चल रहे राम शिंदे हैं, जो फडणवीस सरकार में मंत्री भी थे। धनगर समुदाय (ओबीसी) से ताल्लुक रखने वाले राम शिंदे पश्चिमी महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के रहने वाले हैं। 2019 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने कर्जत-जामखेड़ से चुनाव लड़ा, लेकिन एनसीपी उम्मीदवार से हार गए। बाद में भाजपा ने उन्हें एमएलसी के रूप में नामित किया। उन्हें बारामती निर्वाचन क्षेत्र एनसीपी प्रमुख शरद पवार के गृह क्षेत्र का पार्टी प्रभारी भी बनाया गया है।