महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी गठबंधन के भीतर बढ़ते मतभेद की गूंज दिल्ली तक आती दिखाई दे रही है। राज्य के सभी 44 कांग्रेस विधायक इस मामले पर पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मिलने के लिए दिल्ली आने पर विचार कर रहे हैं। दि इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एमवीए में कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना और एनसीपी के बीच, आपस में विरोधाभास देखने को मिला था। वहीं, गठबंधन में तीसरे भागीदार के रूप में सबसे कम सीटों वाली पार्टी कांग्रेस के तेवर भी अलग नजर आ रहे हैं।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा, “शिवसेना और एनसीपी साफ तौर पर सरकार के कामकाज के साथ-साथ बाहर भी हावी हैं। कांग्रेस के साथ दूसरे दर्जे का व्यवहार हो रहा है।” बुधवार को महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रमुख नाना पटोले ने सीएम उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की याद दिलाई थी। हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि गठबंधन ‘मजबूत और सरकार स्थिर’ है।
उन्होंने फिर से कॉमन मिनिमम प्रोग्राम को लागू करने की आवश्यकता की बात की और कहा, “भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए, कांग्रेस के नेतृत्व में सभी समान विचारधारा वाले धर्मनिरपेक्ष दलों द्वारा एक ठोस दृष्टिकोण अपरिहार्य है।” पटोले का इशारा साफ तौर पर उस तरफ था, जिसमें पिछले सप्ताह प्रदेश एनसीपी युवा सम्मेलन में सर्वसम्मति से पारित एक प्रस्ताव में भाजपा से लड़ने के लिए यूपीए के अध्यक्ष के रूप में पार्टी सुप्रीमो शरद पवार के नाम की सिफारिश की गई थी। वर्तमान में यूपीए प्रमुख सोनिया गांधी हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या पवार ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई थी, महाराष्ट्र एनसीपी यूथ विंग के कार्यकारी अध्यक्ष रविकांत वरपे ने कहा था, “पार्टी प्रमुख ने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई थी, उन्होंने कुछ नहीं कहा।”
कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों ने माना कि सोनिया गांधी के साथ विधायकों द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दों में यह भी एक मुद्दा होगा। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता अतुल लोंढे ने कहा, “कांग्रेस एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसकी पूरे भारत में स्वीकार्यता है। सोनिया गांधी सबसे स्वीकार्य नेता हैं, जो यूपीए का नेतृत्व करने के लिए उपयुक्त हैं। एनसीपी अध्यक्ष पवार भी गांधी के नेतृत्व को सहमति देंगे।”