महाराष्ट्र में पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में महाविकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन की करारी हार हुई थी। कांग्रेस का भी प्रदर्शन काफी खराब था। वहीं उसके बाद से महाराष्ट्र में पार्टी अपने संगठन को मजबूत करने पर जोर दे रही है। महाराष्ट्र कांग्रेस ने लगभग 280 सदस्यों वाली एक नई राज्य कार्यकारिणी समिति (State Executive Committee) का प्रस्ताव रखा है। इसमें 40 प्रतिशत सदस्य अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के नेता होंगे। इस कदम को पार्टी द्वारा ओबीसी मतदाताओं को लुभाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। बता दें कि महाराष्ट्र में इस साल के अंत में नगर निकाय चुनाव होने की उम्मीद है।
कार्यकारिणी समिति में होंगे 280 नेता
महाराष्ट्र कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार हाल ही में नियुक्त महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख हर्षवर्धन सपकाल के नेतृत्व में नई राज्य कार्यकारिणी समिति में लगभग 280 नेता होंगे। इसमें लगभग 110-115 महासचिव, 105-108 सचिव, पांच वरिष्ठ प्रवक्ता, एक-एक मीडिया समन्वयक और कोषाध्यक्ष, लगभग 15-20 वरिष्ठ उपाध्यक्ष और 35-40 उपाध्यक्ष होंगे।
महिलाओं को 15 फीसदी प्रतिनिधित्व
इस कमेटी में लगभग 15 प्रतिशत महिला प्रतिनिधित्व होगा। राज्य कार्यकारिणी की अंतिम सूची अंतिम अनुमोदन के लिए केंद्रीय नेतृत्व को भेज दी गई है। आलाकमान अभी भी इस पर विचार कर रहा है। 2024 के राज्य विधानसभा चुनावों में हार के बाद पार्टी ने ओबीसी पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया है। राष्ट्रीय स्तर पर भी कांग्रेस खुद को एक ऐसी पार्टी के रूप में पेश करने के लिए व्यापक रूप से काम कर रही है जो वास्तव में ओबीसी के साथ खड़ी है।
क्यों ओबीसी को तरजीह दे रही कांग्रेस?
अंतिम सूची के निर्माण से जुड़े एक वरिष्ठ राज्य कांग्रेस नेता ने कहा कि महाराष्ट्र में ओबीसी नेतृत्व को अतिरिक्त स्थान देने का निर्णय लिया गया है।2024 के विधानसभा चुनावों के दौरान महायुति ने लोकसभा चुनावों में अपने निराशाजनक प्रदर्शन के बाद ओबीसी मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए व्यापक रूप से काम किया था।
भाजपा को ओबीसी का भारी समर्थन महाविकास अघाड़ी (MVA) की हार के प्रमुख कारणों में से एक बताया गया। लगभग 40 प्रतिशत ओबीसी नेताओं के साथ कार्यकारिणी में 16-17 प्रतिशत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के नेता, 18-19 प्रतिशत अल्पसंख्यक और 25-28 प्रतिशत सामान्य वर्ग के नेता होंगे।
विदर्भ पर कांग्रेस का फोकस
कांग्रेस पार्टी ने विदर्भ को सबसे अधिक प्रतिनिधित्व देने का भी प्रयास किया है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां उसे अपने संगठन और नेतृत्व के कारण राजनीतिक रूप से वापसी की उम्मीद है। कार्यकारिणी में लगभग 40 प्रतिशत सदस्य विदर्भ के नेता होंगे, जिसमें अमरावती और नागपुर दोनों संभाग शामिल हैं।
वहीं मराठवाड़ा और पश्चिमी महाराष्ट्र पर भी पार्टी का ध्यान होगा और उसके बाद कोंकण पर नजर होगी। एक नेता ने कहा, “हमें उत्तरी महाराष्ट्र पर ध्यान देने की ज़रूरत है, जहां महायुति के नेताओं ने पार्टी संगठन को चरमसीमा तक नष्ट करने की कोशिश की है।”