महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी राज्य में सियासी घमासान मचा हुआ है। दरअसल, उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार (1 जुलाई) को एकनाथ शिंदे को पार्टी संगठन में शिवसेना नेता के पद से हटा दिया। जिसके बाद शिवसेना के एक बागी विधायक का कहना है कि अगर उद्धव ठाकरे शिंदे को शिवसेना नेता के पद से हटाने के अपने फैसले को वापस नहीं लेते हैं, तो उनके इस कदम को कानूनी तौर पर चुनौती दी जाएगी।

दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने पर शिवसेना में सभी पदों से हटा दिया है। जिसके बाद बागी गुट के नेता दीपक केसरकर ने कहा कि हम उद्धव ठाकरे के इस फैसले को चुनौती देंगे। इसका जवाब हम भेजेंगे, अगर जवाब के बाद उन्होंने आवश्यक कार्यवाही नहीं की तो हम कानूनी सलाह लेंगे।

उद्धव ठाकरे ने जारी किया था लेटर: गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे के नाम से एक लेटर जारी करते हुए लिखा था कि हाल ही में देखा गया कि आप पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए गए हैं। इसके साथ ही लेटर में कहा गया कि आपने शिवसेना की सदस्यता छोड़ दी है इसलिए आपके खिलाफ ये कार्रवाई की जा रही है।

उद्धव ठाकरे के हस्ताक्षर किए गए पत्र में कहा गया है, “शिवसेना पक्ष प्रमुख के रूप में मुझे मिली शक्तियों का प्रयोग करते हुए मैं आपको पार्टी संगठन में शिवसेना नेता के पद से हटाता हूं।” वहीं एकनाथ शिंदे ने दावा किया था कि वो ही शिवसेना के नेता हैं क्योंकि ठाकरे खेमा अल्पसंख्यक की स्थिति में है।

यह सीएम शिवसेना के नहीं: इससे पहले एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाए जाने पर उद्धव ठाकरे ने कहा था कि यह सीएम शिवसेना के नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से सरकार बनी है और एक तथाकथित शिवसेना कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री बनाया गया है, मैंने अमित शाह से यही कहा था। ये सम्मानपूर्वक किया जा सकता था। तब शिवसेना आधिकारिक तौर पर आपके साथ थी। उद्धव ने कहा, “ये जो कल हुआ, मैं पहले ही अमित शाह से कह रहा था कि 2.5 साल शिवसेना का मुख्यमंत्री हो और वही हुआ। पहले ही अगर ऐसा करते तो महा विकास अघाडी का जन्म ही नहीं होता।