Maharashtra Politics: शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे ने महाराष्ट्र की सियासत का पारा एक बार फिर से चढ़ा दिया है। महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री ने 40 विधायकों के पार्टी छोड़कर जाने पर टिप्पणी की। एक मीडिया हाउस से बात करते हुए ठाकरे ने शनिवार को कहा कि लोगों को जबरन अपने साथ रखने का कोई मतलब नहीं है। जब उन्होंने आपसे दूर जाने का फैसला कर लिया हो। ठाकरे ने कहा कि उन्हें पता था कि यह सब होने वाला है। मैंने पहले भी कहा है कि केंद्रीय एजेंसियों द्वारा लोगों पर दबाव डाला जा रहा था।

आदित्य ठाकरे ने दावा किया है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जून 2022 में पार्टी से बगावत करने से पहले उनके घर आए थे। उन्होंने रोते हुए कहा था कि अगर बीजेपी में शामिल नहीं हुए तो केंद्रीय एजेंसी उन्हें गिरफ्तार कर लेंगी। ठाकरे ने कहा कि जब हमने महसूस किया कि चीजें इस स्तर पर पहुंच गई हैं, तो हमने इसे छोड़ दिया।

रत्नागिरी में चल रहे आंदोलन की स्थिरता और वर्तमान में गर्म मुद्दे के बारे में आदित्य ठाकरे ने कहा, “सरकार ने स्थानीय लोगों से बात नहीं की है। अब दो गुट हो गए हैं। एक परियोजना का स्वागत करता है तो दूसरा इसका विरोध कर रहा है। अब ऐसा लगता है कि दूसरा गुट बड़ा हो गया है। यह राज्य सरकार की ओर से स्पष्टता और पारदर्शिता की कमी के कारण है।”

आदित्य ठाकरे ने इस बदहाल स्थिति के लिए केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को जिम्मेदार ठहराया। एमवीए सरकार और वर्तमान सरकार के बीच के अंतर को बताते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकारों ने अहंकार को चुना है। इसी वजह से पिछली बीजेपी सरकार को भी उसी परियोजना के विरोध का सामना करना पड़ा था।

उन्होंने कहा कि जब से महाराष्ट्र में सरकार बदली तो बातचीत खत्म हो गई। अब ऐसा लगता है कि मौजूदा सरकार के लिए लोगों की मर्जी के खिलाफ प्रोजेक्ट थोपना सरकार के लिए अहंकार और चुनौती बन गया है। उन्होंने कहा कि लाठी चार्ज और आंसू गैस एक मेगा परियोजना को लागू करने का तरीका नहीं है।