महाराष्ट्र में महायुति सरकार के सत्ता में आने के 6 महीने से अधिक समय बाद भी, आधा दर्जन से अधिक कैबिनेट मंत्री आधिकारिक रूप से नियुक्त निजी सचिवों (PS) और विशेष कर्तव्य अधिकारियों (OSD) के बिना काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उन कर्मचारियों के लिए अप्रूवल रोकने पर अड़े हुए हैं जिन्हें वे भ्रष्ट या फिक्सर मानते हैं।
फरवरी में फडणवीस ने पीएस और ओएसडी की भूमिका के लिए मंत्रियों द्वारा प्रस्तावित 125 नामों में से 109 को मंजूरी दे दी थी। मुख्यमंत्री ने “गंभीर चिंताओं” का हवाला देते हुए 16 नामों को रोक दिया था जिन पर पेंडिंग जांच और मंत्रालय के भीतर सक्रिय लॉबिंग नेटवर्क से जुड़े लिंक शामिल थे।
सूत्रों के अनुसार, इस देरी से गणेश नाइक, शंभूराज देसाई, छगन भुजबल, उदय सामंत, गुलाबराव पाटिल और दत्ता भरणे सहित कई वरिष्ठ मंत्री प्रभावित हुए हैं जो पूर्णकालिक कर्मचारियों के बिना काम कर रहे हैं। सेवा नियमों के अनुसार, प्रत्येक कैबिनेट मंत्री को 16 और राज्य मंत्रियों को 14 निजी स्टाफ का अधिकार है।
सीएम फडणवीस ने उन कर्मचारियों पर आपत्ति जताई है जो पहले की सरकारों में काम कर चुके हैं
जब मुख्यमंत्री से आधा दर्जन से अधिक मंत्रियों के निजी सचिवों और विशेष कार्याधिकारियों की नियुक्ति में हो रही देरी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “इसमें चिंता की कोई बात नहीं है।” उन्होंने कहा, “फिक्सरों को मंत्री कर्मचारियों के माध्यम से काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।” हालांकि, मुख्यमंत्री कार्यालय ने बारीकी से जांच पर जोर दिया है, विशेष रूप से उन कर्मचारियों पर आपत्ति जताई है जो पहले की सरकारों में काम कर चुके हैं और राजनीतिक मध्यस्थों के साथ जिनकी करीबियां हैं।
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एक वरिष्ठ नौकरशाह ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “ऐसे कर्मचारी थे जो सालों से सिस्टम में थे और उन्हें सत्ता के केंद्र के रूप में देखा जाता था। सीएम चाहते हैं कि मंत्रालय दलालों (बिचौलियों) से मुक्त हो।” सीएमओ ने इस साल की शुरुआत में पुणे में निजी सचिवों और विशेष कार्य अधिकारियों के लिए दो दिन का ट्रेनिंग सेशन भी आयोजित किया था।
महाराष्ट्र के कृषि मंत्री का आरोप- मंत्रियों को अपने निजी सचिवों और पीए की नियुक्ति में भी कोई अधिकार नहीं
हाल ही में फरवरी में तनाव सार्वजनिक रूप से सामने आया था जब कृषि मंत्री और एनसीपी नेता माणिकराव कोकाटे ने खुले तौर पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा था कि मंत्रियों को अपने निजी सचिवों और पीए की नियुक्ति में भी कोई अधिकार नहीं है। मंत्रियों ने निजी तौर पर शिकायत की है कि जांच प्रक्रिया को चुनिंदा तरीके से लागू किया जा रहा है और कहा जा रहा है कि अधिकांश अस्वीकृत कर्मचारी गठबंधन सहयोगियों के नामित व्यक्ति हैं, भाजपा के नहीं। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स