Maharashtra-Karnataka Border Dispute: कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद (Karnataka-Maharashtra Border Dispute) के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। कर्नाटक विधानसभा में प्रस्ताव पास होने के एक दिन बाद शुक्रवार (23 दिसंबर, 2022) को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के मंत्री शंभुराज देसाई ने कहा कि राज्य सरकार अगले सप्ताह कर्नाटक के साथ सीमा विवाद पर एक प्रस्ताव लाएगी, जो पड़ोसी राज्य (कर्नाटक) द्वारा पारित प्रस्ताव की तुलना में 10 गुना ज्यादा प्रभावी होगा।
महाराष्ट्र सरकार के आबकारी मंत्री शंभुराज देसाई (Maharashtra minister Shamburaj Desai) ने कहा कि सोमवार को राज्य विधानमंडल द्वारा इससे संबंधित प्रस्ताव पारित किया जाएगा।
नागपुर में विधानमंडल परिसर में मीडिया से बात करते हुए, देसाई ने कहा, “राज्य सरकार महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा मुद्दे पर एक विस्तृत प्रस्ताव लाएगी, जो कर्नाटक विधानसभा द्वारा सोमवार को पारित प्रस्ताव से 10 गुना अधिक प्रभावी होगा। पारित होने वाला प्रस्ताव महाराष्ट्र का पक्ष अधिक प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करेगा और मराठी लोगों के हित में होगा। उन्होंने कहा, “प्रस्ताव पारित होने के बाद हम महाराष्ट्र के नेताओं को कर्नाटक में प्रवेश करने से रोकने वाली बात को केंद्रीय गृह मंत्री को भी अवगत कराएंगे।
गृह मंत्री ने की थी दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ बैठक
देसाई ने कहा कि मैं केवल यह कहना चाहता हूं कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ दोनों राज्य (महाराष्ट्र और कर्नाटक) के मुख्यमंत्रियों की बैठक के बाद भी कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने जो फैसला किया है। उन्होंने उसका सम्मान नहीं किया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार चाहती है कि इस मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझाया जाए। बता दें, देसाई राज्य द्वारा नियुक्त महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा समन्वय समिति के सदस्य हैं।
गुरुवार को कर्नाटक विधानसभा में पारित हुआ था प्रस्ताव
कर्नाटक विधानसभा ने गुरुवार (22 दिसंबर, 2022) को सर्वसम्मति से महाराष्ट्र के साथ सीमा विवाद को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया था। जिसमें राज्य के हितों की रक्षा करने और अपने पड़ोसी राज्य (महाराष्ट्र) को एक इंच जमीन नहीं देने का संकल्प लिया गया। इसके साथ ही महाराष्ट्र के कुछ मंत्रियों के बयानों की निंदा भी की गई।
बता दें, पिछले कुछ हफ़्तों से दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद को लेकर बयानबाजी तेज हो गई है। दोनों राज्यों के नेताओं के बीच गहमागहमी नजर आ रही है। साथ ही कर्नाटक के बेलगावी में तनावपूर्ण माहौल के बीच पुलिस ने कन्नड़ और मराठी कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया था।
भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के बाद सीमा का मुद्दा 1957 का है। महाराष्ट्र ने बेलगावी पर दावा किया, जो तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा था। इसमें मराठी भाषी आबादी का एक बड़ा हिस्सा है। इसने 800 से अधिक मराठी भाषी गांवों पर भी दावा किया जो वर्तमान में कर्नाटक का हिस्सा हैं।