महाराष्ट्र सरकार ने आज बंबई उच्च न्यायालय को बताया कि राज्य में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाने की दिशा में समाधान निकालने के लिए एक विशेष कार्य का गठन किया है। कार्यबल में प्लास्टिक निर्माता एसोसिएशन , विशेषज्ञ और सरकारी अधिकारी शामिल हैं। इस साल 23 मार्च को सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर एक बार इस्तेमाल होने वाले बैग , चम्मच , प्लेट की तरह प्लास्टिक की सभी सामग्री , पेट बोतल और थर्मोकोल सामग्री के निर्माण , इस्तेमाल , बिक्री , वितरण और भंडारण पर रोक लगा दी थी। न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति रियाज चागला की पीठ ने अप्रैल में इस अधिसूचना पर रोक लगाने से इंकार करते हुए कहा था कि अदालत पर्यावरण पर प्लास्टिक अपशिष्ट के प्रतिकूल प्रभाव को नजरंदाज नहीं कर सकती।
इस अधिसूचना में प्लास्टिक निर्माताओं, वितरकों और खुदरा व्यापारियों को प्रतिबंधित सामान का अपना स्टाक खत्म करने के लिये तीन महीने का समय दिया था। दूसरी ओर, उपभोक्ताओं और इनका इस्तेमाल करने वालों को इनका निस्तारण करने के लिये एक महीने का वक्त दिया गया था। इस अधिसूचना को प्लास्टिक की वस्तुओं का निर्माण करने और खुदरा व्यापारियों के संगठनों ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
हालांकि पीठ ने तीन महीने के लिए ऐसी सामग्री रखने पर कानूनी कार्यवाही से नागरिकों को संरक्षण प्रदान किया था। पीठ ने मुद्दे पर आगे विचार के लिए याचिकाकर्ताओं को राज्य सरकार के समक्ष प्रतिवेदन देने का निर्देश दिया था । राज्य सरकार ने इस मामले में आज एक हलफनामा दाखिल किया। राज्य सरकार ने हलफनामे में कहा है कि उसने दो कमेटी बनायी है। अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति और एक क्रियान्वयन समिति का गठन किया गया है।
हलफनामे में कहा गया , ‘‘ सरकार ने समाधान निकालने और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन पर कार्य योजना तैयार करने के लिए विभिन्न प्लास्टिक निर्माण एसोसिएशन , विभिन्न संस्थाओं के विशेषज्ञों और सरकारी अधिकारियों का एक कार्यबल गठित किया है। ’’ अदालत ने आज सरकार को हलफनामे की प्रति सभी याचिकाकर्ताओं को देने का निर्देश दिया और इसकी सुनवाई 22 जून के लिए स्थगित कर दी।