विश्वास वाघमोडे
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की यह टिप्पणी कि समर्थ रामदास छत्रपति शिवाजी महाराज के ‘गुरु’ थे, जिन्हें राज्य भर में सभी समुदायों द्वारा सम्मानित किया जाता है, ने राज्य में विवाद को जन्म दिया है। शिवाजी महाराज के वंशज, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), कांग्रेस, शिवसेना और अन्य संगठनों ने कोश्यारी की टिप्पणी की निंदा की और उन्हें राज्यपाल के पद से हटाने की मांग की। इंडियन एक्सप्रेस ने इस बारे ने इस बारे में पड़ताल कर बताया कि विवाद कैसे छिड़ गया और शिवाजी महाराज पर कोश्यारी की टिप्पणी पर विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों ने आपत्ति क्यों जताई।
छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में कोश्यारी ने क्या कहा?
कोश्यारी ने रविवार को औरंगाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान छत्रपति शिवाजी महाराज और चंद्रगुप्त मौर्य के बारे में बोलते हुए गुरु (शिक्षक) की भूमिका को रेखांकित किया। कोश्यारी ने कहा- “इस भूमि पर कई महाराजा और चक्रवर्ती (सम्राट) पैदा हुए थे। लेकिन चाणक्य न होते तो चंद्रगुप्त के बारे में कौन पूछता? समर्थ (रामदास) न होते तो छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में कौन पूछता।”
उन्होंने आगे कहा था, “मैं चंद्रगुप्त और शिवाजी महाराज के व्यक्तित्व को कम करने का प्रयास नहीं कर रहा हूं। जिस तरह एक मां अपने बच्चे का विकास करने में अहम भूमिका निभाती है, उसी तरह हमारे समाज में गुरु (शिक्षक) की भूमिका का बहुत बड़ा स्थान है।”
राजनीतिक दलों और विभिन्न संगठनों ने इस बारे में क्या कहा?
मराठा योद्धा राजा पर राज्यपाल की टिप्पणी की राजनीतिक दलों और विभिन्न संगठनों ने आलोचना की और उनसे माफी मांगने और केंद्र से उन्हें वापस बुलाने के लिए कहा। इसके अलावा, कांग्रेस, राकांपा और विभिन्न संगठनों संभाजी ब्रिगेड, मराठा महासंघ और अन्य के कार्यकर्ताओं ने कोश्यारी की टिप्पणी के बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किया और उनका इस्तीफा मांगा।
भाजपा सांसद उदयनराजे भोसले, जो छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रत्यक्ष वंशज हैं, ने कोश्यारी से अपनी टिप्पणी वापस लेने के लिए कहा, जिससे मराठा योद्धा राजा के अनुयायियों और महाराष्ट्र के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है। भोसले ने एक ट्वीट में कहा, “राष्ट्रमाता जीजाऊ (मराठा राजा की मां) छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु थे। फिर भी, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने टिप्पणी की थी कि रामदास महाराज के गुरु थे। कोश्यारी ने ऐसा बयान देकर शिवाजी और पूरे महाराष्ट्र के अनुयायियों की भावनाओं को आहत किया है। राज्यपाल को अपना बयान तुरंत वापस लेना चाहिए।
एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच के जुलाई 2018 के आदेश का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि शिवाजी महाराज रामदास से मिले थे। महाराष्ट्र राज्य कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि कोश्यारी को पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। पटोले ने कहा कि केंद्र को उन्हें वापस बुलाना चाहिए क्योंकि उन्होंने पद की गरिमा को धूमिल किया है।