शिवसेना (UBT) के राज्यसभा सदस्य संजय राउत (Rajyasabha MP Sanjay Raut) ने रविवार को दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) उनकी पार्टी के प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) से डरती है, जो एक अच्छी बात है। संजय राउत की यह टिप्पणी गृह मंत्री अमित शाह की नांदेड़ रैली के एक दिन बाद आई है। अपनी रैली में उन्होंने 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद के घटनाक्रमों को लेकर उद्धव पर निशाना साधा था। अमित शाह ने उद्धव ठाकरे को भाजपा-शिवसेना का गठबंधन टूटने के लिए जिम्मेदार बताया था।

अमित शाह ने साधा था उद्धव ठाकरे पर निशाना

अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने राज्य में महा विकास आघाडी (MVA) की सरकार बनाने के लिए कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) से हाथ मिलाने के उद्धव ठाकरे के कदम को सत्ता के लिए किया गया विश्वासघात करार दिया था। इसके बाद संजय राउत ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “यह अच्छा है कि भाजपा उद्धव ठाकरे से डरती है। उसने पार्टी (शिवसेना) में फूट सुनिश्चित की, इसका नाम और चुनाव चिह्न देशद्रोहियों को दिया। उद्धव ठाकरे और असली शिवसेना का डर अभी भी नहीं गया है।”

संजय राउत ने आगे लिखा, “अमित शाह ने 20 मिनट का भाषण दिया, जिसमें से सात मिनट उन्होंने उद्धव जी पर खर्च किए। उनका भाषण हास्यास्पद था। मैं सोचता हूं कि नांदेड़ में उनकी रैली भाजपा के महासंपर्क अभियान का हिस्सा थी या उद्धव की आलोचना करने का मौका। भाजपा को उद्धव से पूछे गए सवालों के बारे में आत्मनिरीक्षण करना चाहिए।”

बीजेपी अपने ही जाल में फंस गई: संजय राउत

संजय राउत ने दावा किया कि भाजपा अपने ही जाल में फंस गई है। वहीं महाराष्ट्र विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने कहा कि भाजपा गठबंधन तोड़ने और एनसीपी व कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर हिंदुत्व को त्यागने के लिए हमेशा शिवसेना (यूबीटी) की आलोचना करती है। अंबादास दानवे ने ट्वीट किया, “मैं इस बात को लेकर उत्सुक हूं कि जब भाजपा ने फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, नीतीश कुमार, मायावती, ओमप्रकाश चौटाला और अन्य के साथ हाथ मिलाया, तब उसे किस तरह का हिंदुत्व हासिल हुआ।”

अंबादास दानवे ने आरोप लगाया कि भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कुछ नेताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है और जो नेता उनके जाल में फंस जाते हैं, वह हिंदुत्व के समर्थक हो जाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि शिवसेना (UBT) धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ हाथ मिलाती है लेकिन उसके लिए इसकी आलोचना की जाती है।