मद्रास हाई कोर्ट ने केंद्र की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ती चिदंबरम और चार अन्य के खिलाफ जारी लुक आउट सर्कुलर पर गुरुवार को रोक लगा दी। सीबीआइ की ओर से दाखिल भ्रष्टाचार के एक मामले में पासपोर्ट कानून के तहत केंद्र ने यह सर्कुलर जारी किया था । न्यायमूर्ति एम दुरैस्वामी ने यह सर्कुलर रद्द करने के लिए कार्ती और अन्य की याचिका पर सुनवाई के दौरान इस पर अंतरिम रोक लगाई। अदालत ने केंद्र सरकार को इस याचिका पर चार सितंबर तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। कार्ती के अलावा जिन लोगों को अंतरिम राहत दी गई उनमें कार्ती के सहयोगी सीबीएन रेड्डी, रवि विश्वनाथन, मोहनन राजेश और एस भास्कर रमण शामिल हैं।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण अधिकारी (एफआरआरओ) और आव्रजन ब्यूरो ने 16 जून को कार्ती और 18 जुलाई को चार अन्य के खिलाफ सर्कुलर जारी किया था। अपनी याचिका में कार्ती ने दलील दी कि केंद्र सरकार ने ‘राजनीतिक बदले की भावना’ से, ‘मनमाने’ तरीके से और उन्हें विदेश जाने से रोकने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर मनमाने तरीके से सर्कुलर जारी किया।

यह मामला आइएनएक्स को विदेश से धन प्राप्त करने के लिए 2007 में विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड द्वारा दी गई मंजूरी में कथित अनियमितताओं से संबंधित है। उस समय कार्ती के पिता पी चिदंबरम केंद्र में वित्त मंत्री थे। कार्ती की याचिका का विरोध करते हुए केंद्र ने अदालत से कहा था कि शराब के कारोबारी विजय माल्या के भारत से चले जाने की घटना के अनुभव के बाद उनके (कार्ती) खिलाफ इस तरह का सर्कुलर जारी करना जरूरी हो गया है।