मध्यप्रदेश के मेडिकल कॉलेज में आरएसएस विचारकों के विचार पढ़ाये जाने के फैसले के बाद अब मध्यप्रदेश सरकार विश्वविद्यालयों के कुलपति का नाम बदलने पर भी विचार कर रही है। स्वीकृति मिलने के बाद मध्यप्रदेश के विश्वविद्यालयों के कुलपति कुलगुरु कहलाएंगे। मध्यप्रदेश के शिक्षा मंत्री ने नाम बदलने के प्रस्ताव के पीछे तर्क देते हुए कहा है कि कुलपति के बजाय कुलगुरु गले में अधिक उतरता है।

सोमवार को मध्यप्रदेश सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने कहा कि कुलपति की तुलना में कुलगुरु लोगों के गले ज़्यादा उतरता है। कुलपतियों से आग्रह है कि उन्हें इस नाम पर विचार करना चाहिए। विभाग ने विचार किया है और इसमें आगे बढ़ रहे हैं। ये विषय कैबिनेट तक जाएगा। सबकी स्वीकृति मिली तो ये नाम लागू हो जाएगा।

इसके अलावा उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने यह भी कहा कि जैसे कई नामों में बदलाव कर उनके नए नाम रखे गए हैं। उसी तरह से कुलपति का नाम बदलकर कुलगुरु रखने का प्रस्ताव भी लाया गया है। इसके लिए राज्यपाल को भी संशोधन भेजा जाएगा। नाम बदलने को लेकर कुलपतियों के साथ ही जनता से भी सुझाव मांगे गए हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इंदौर के एक निजी कार्यक्रम में उन्होंने यह भी कहा कि कुलपति का नाम कुलगुरु रखने की शुरुआत उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय से की जाएगी।

गौरतलब है कि पिछले दिनों ही मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने एमबीबीएस के फाउंडेशन कोर्स में शामिल मेडिकल एथिक्स के चैप्टर में आरएसएस के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और जनसंघ के संस्थापक पं. दीनदयाल उपाध्याय के विचारों को शामिल किया है। सिलेबस में शामिल किए जाने के बाद मध्यप्रदेश से मेडिकल की पढ़ाई करने वाले हर विद्यार्थियों को एक महीने तक अनिवार्य रूप से इन विचारकों के विचार को पढ़ना होगा। 

हालांकि इन विचारों को पढ़ने के बाद डॉक्टरी की पढ़ाई करने छात्रों से इस विषय की कोई परीक्षा भी नहीं ली जाएगी। भाजपा सरकार ने पिछले दिनों  मेडिकल एथिक्स के चैप्टर के चुनाव के लिए सुझाव मांगे गए थे। सुझाव देने के लिए एक कमेटी भी बनाई गई थी। कमेटी की अनुशंसा पर ही अलग अलग विचार और दर्शन को मेडिकल एथिक्स के चैप्टर में शामिल किया गया है।