ऐश्वर्या मोहंती
मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में एनएच-47 पर एक मोड़ है, जहां से कांक्रीट की बनी एक सड़की शुरू होती है। इस सड़क के एक ओर खेत हैं, तो दूसरी ओर कच्चे-पक्के घर बने हैं। कुछ दूर आगे बढ़ने पर कालाखुंट गांव के बाहर एक साइनबोर्ड लगा हुआ है, जिसपर ‘मोदी फलिया’ लिखा हुआ है। इसके साथ ही बोर्ड पर यह भी दिखाया गया है कि इस गांव में कितने लोग रहते हैं और यहां प्रधानमंत्री आवास आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के तहत कितने घर बने हैं? यह गांव गुजरात-मध्य प्रदेश बार्डर से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ‘मोदी फलिया’ भगत फलिया का नया नाम है। इस क्षेत्र के नाम को बदलने का प्रस्ताव 2 अक्टूबर 2017 को ग्रामसभा में प्रस्तावित किया गया और इसे सर्वसम्मति से पास भी कर दिया गया।
कालाखुंट ग्राम पंचायत के सरपंच झोगड़ा बबरसिया कहते हैं, “यह सर्वसम्मति से लिया गया फैसला था। किसी ने इसका विरोध नहीं किया। आज यहां सभी घर कांक्रीट के बने हैं और उनमें शौचालय है। यह सब पीएमएवाई-जी की वजह से हुआ है।” कालाखुंट ग्राम पंचायत के अंतर्गत चार गांव आते हैं, जिनकी आबादी करीब 3437 है। हालांकि, 1612 लोग कालाखुंट में रहते हैं और मात्र 476 लोग ही मोदी फलिया में रहते हैं। पीएमएवाई-जी योजना के तहत बने सभी घरों को अच्छे से पेंट किया गया है। साथ ही लाभार्थियों का नाम भी लिखा गया है। घरों के आगे स्वच्छ भारत अभियान का स्लोगन और लोगो भी लगा है।
45 वर्षीय नेवा बावरिया का घर चार कमरो वाला है। बावरिया कहते हैं, “मानसून के समय उनका कच्चा घर गिर गया था। इसके बाद उनकी चिंता बढ़ गई थी। ऐसा कई लोगों के साथ हुआ। लेकिन पिछले दो साल में फलिया में कई पक्के घरों का निर्माण इस हाऊसिंग स्कीम के तहत हुआ। इसलिए हमने फलिया का नाम प्रधानमंत्री के नाम पर रखने का फैसला किया।” अन्य लाभार्थियों के तरह ही नेवा बावरिया को भी घर बनाने के लिए 1,20,000 रुपये मिले, स्वच्छ भारत अभियान मिशन के तहत शौचालय बनाने के लिए 12,000 रुपये मिले और मनरेगा के तहत श्रमिकों को निर्माण कार्य के लिए देने को 18,000 रुपये मिले। उन्होंने अपने पास से भी चार लाख रुपये खर्च किए और पक्के घर का निर्माण करवा लिया।
51 वर्षीय नना बावरिया जो पिछले साल तक यहां के उपसरपंच थे, ने कहा, “वर्ष 2009 से 2015 के बीच जब मैं पंच सदस्य था, इंदिरा आवास योजना के तहत पंचायत में मात्र ईंट और मिट्टी वाले 7 से 12 घरों का निर्माण हुआ था। लेकिन वर्ष 2016 से मोदी फलिया में 48 घर तैयार हो चुके हैं और 11 घरों का निर्माण कार्य जारी है। इस वजह से हमने फलिया गांव का नाम पीएम के नाम पर रखने का फैसला किया।” आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2017-18 में कालाखुंट पंचायत के 49 प्रतिशत घर पीएमएवाई-जी योजना के अंतर्गत शामिल किए गए। यह संख्या सितंबर 2018 तक बढ़कर 68 प्रतिशत हो चुका है।