मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों की घोषणा हो चुकी है। 17 नवंबर को होने वाले चुनाव में दस मुद्दों के प्रचार परिदृश्य पर हावी होने की संभावना है और ये मुद्दे 230 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव के परिणाम तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे। मध्य प्रदेश में 2018 में आखिरी चुनावों के बाद, राज्य में मार्च 2020 में तब सत्ता परिवर्तन देखने को मिला जब अनुभवी राजनेता कमल नाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिर गई और भाजपा सिर्फ 15 महीने तक विपक्ष में रहने के बाद सत्ता में वापस आ गई।

दिसंबर 2018 से मार्च 2020 तक की 15 महीने की अवधि को छोड़कर (जब कांग्रेस सत्ता में थी), भाजपा को लगभग चार कार्यकालों की सत्ता-विरोधी लहर से पार पाने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। दूसरी ओर, कांग्रेस कई मुद्दों पर शिवराज सिंह चौहान सरकार के खिलाफ लोगों के बीच नाराजगी को भुनाने की कोशिश करेगी।

भ्रष्टाचार

कांग्रेस मौजूदा भाजपा शासन में कथित भ्रष्टाचार को अपना मुख्य चुनावी मुद्दा बनाने जा रही है। कांग्रेस ने भाजपा शासन के 18 साल के दौरान 250 से ज्यादा बड़े घोटाले भी गिनाए हैं। वित्तीय घोटालों की सूची में व्यापमं भर्ती और प्रवेश घोटाला सबसे ऊपर है।

सत्ता विरोधी लहर

भाजपा मध्य प्रदेश में 2003 से 15 महीने की अवधि (दिसंबर 2018-मार्च 2020) को छोड़कर सत्ता में है और सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है। इन 15 महीनों में कांग्रेस का शासन मध्य प्रदेश में था।

सिंधिया समर्थकों का भाग्य

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के वास्ते अपने सभी प्रमुख समर्थकों के लिए चुनाव टिकट प्राप्त करना एक कठिन काम होगा, जो 2020 में कांग्रेस छोड़कर उनके साथ भाजपा में शामिल हो गए। उन सभी को समर्पित भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की कीमत पर समायोजित करना होगा जो कि निश्चित रूप से नाराजगी पैदा करेगा।

अपराध

बढ़ता अपराध ग्राफ, विशेषकर महिलाओं और दलितों और आदिवासियों सहित कमजोर वर्गों के सदस्यों के खिलाफ घटनाएं, मतदाताओं के बीच एक प्रमुख मुद्दा है। सीधी जिले में एक व्यक्ति द्वारा एक आदिवासी व्यक्ति से अमानवीय व्यवहार की घटना में मुख्यमंत्री ने व्यक्ति के पैर धोए और उससे माफी मांगी।

प्रोजेक्ट चीता

मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में छह चीतों और तीन शावकों की मौत ने दुनिया के जमीन पर सबसे तेज दौड़ने वाले जानवर को देश में फिर से लाने के कार्यक्रम पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुनरुद्धार कार्यक्रम लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। संरक्षणवादियों के एक वर्ग ने पूरी परियोजना की कल्पना और कार्यान्वयन के तरीके पर सवाल उठाया है।

किसान

राज्य में कृषि संबंधी मुद्दे हमेशा राजनीतिक चर्चा में हावी रहे हैं और सभी दलों ने किसानों को लुभाने की कोशिश की है। सत्ता में रहने के दौरान कांग्रेस और भाजपा दोनों ने कृषि ऋण माफी के मुद्दे पर किसानों को धोखा देने का आरोप लगाया है। गुणवत्तापूर्ण बीजों की अनुपलब्धता और उर्वरकों की कमी किसानों के लिए प्रमुख चिंता का विषय रही है।

बेरोजगारी

युवाओं के बीच बेरोजगारी की उच्च दर एक चुनौती बनी हुई है और मतदाताओं के लिए शीर्ष मुद्दों में से एक है। बेरोजगार युवाओं का दिल जीतने के लिए आप ने सत्ता में आने पर बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया है। दूसरी ओर, भाजपा सरकार युवाओं में कौशल विकसित करने और उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करने की कोशिश कर रही है।

शिक्षा और स्वास्थ्य

दोनों का आम नागरिकों और उनके समग्र कल्याण से गहरा संबंध है। ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में स्कूल खोले गए हैं, लेकिन योग्य शिक्षकों की कमी है, और यदि शिक्षक उपलब्ध हैं, तो छात्रों को उचित शिक्षा प्रदान करने के लिए बुनियादी ढांचे की कमी है। इन चुनावों में अस्थायी शिक्षकों का नियमितीकरण एक बड़ा मुद्दा है।

मुख्यमंत्री चेहरा

जबकि कांग्रेस ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उसके अनुभवी नेता कमल नाथ पार्टी का मुख्यमंत्री चेहरा हैं, वहीं मुख्यमंत्री चौहान राज्य के नेताओं में सबसे लोकप्रिय व्यक्ति बने हुए हैं, इसके बावजूद भाजपा इस मामले पर स्पष्ट नहीं है।

नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रचार परिदृश्य पर हावी रहेंगे और भाजपा के तुरुप का इक्का बने रहेंगे। भाजपा एक और चुनावी जीत हासिल करने के लिए मोदी की लोकप्रियता का इस्तेमाल करेगी।