मध्य प्रदेश विधान सभा चुनाव से पहले कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की मुसीबतें बढ़ गई हैं। व्यापमं घोटाले में भोपाल की स्पेशल कोर्ट ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ, कांग्रेस चुनाव प्रचार कमेटी के अध्यक्ष और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और घोटाले में मुखबिर रहे प्रशांत पांडेय के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया है। इन लोगों पर आरोप है कि व्यापमं घोटाले में कोर्ट को गलत इलेक्ट्रॉनिक सबूत सौंपे हैं और सरकारी सेवकों पर झूठे आरोप लगाए हैं। कोर्ट का यह आदेश भाजपा नेता की अर्जी के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि इन लोगों ने गलत सबूत कोर्ट को सौंपे हैं। बुधवार (26 सितंबर) को कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया कि इस मामले में क्या कार्रवाई की गई इसकी प्रगति रिपोर्ट 13 नवंबर को दे।

मामले में बीजेपी के भोपाल डिस्ट्रिक लीगल सेल के अध्यक्ष संतोष शर्मा ने शिकायती वाद दर्ज कराया था। इससे पहले पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कई पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट में निजी शिकायत दर्ज कराई थी और आरोप लगाया था कि व्यापमं घोटाले में जांच अधिकारियों ने इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की। दिग्विजय सिंह की तरफ से मामले की पैरवी करने के लिए कोर्ट में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और विवेक तन्खा 22 सितंबर को हाजिर हुए थे और उस दिन दिग्विजय सिंह के बयान दर्ज किए गए थे।

बुधवार को बीजेपी नेता की अर्जी पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि सबूतों की जांच करने का काम पुलिस का है, हमारा नहीं। इसके बाद कोर्ट ने शिमला हिल्स पुलिस स्टेशन को आईपीसी की धारा 465, 468, 471, 474 और 120बी के तहत एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट किया है कि वो डरेंगे नहीं और भाजपा को बेनकाब करेंगे। उन्होंने लिखा है, “हम न डरेंगे, न झुकेंगे – व्यापम में प्रदेश के हमारे युवाओं के साथ हुए अन्याय और भ्रष्टाचार के विरुद्ध इस लड़ाई को अंतिम साँस तक लड़ेंगे। भाजपा सरकार की झूठी FIR व्यापम जैसे घोटाले के खिलाफ हमारी लड़ाई और मजबूत इरादों को डिगा नही सकती।” बता दें कि इस साल के अंत तक मध्य प्रदेश में विधान सभा चुनाव होने हैं।