मध्य प्रदेश की अनामिका राठौर अब जैन साध्वी बन गई हैं। जैन साध्वी बनने के लिए अनामिका का त्याग काफी चुनौतीपूर्ण है। दो दिन पहले उनके पति सुमित राठौर ने भी सांसारिक जीवन को अलविदा कहा दिया था जैन भिक्षु बन गये थे। इसके बाद उनकी पत्नी अनामिका ने ये कदम उठाया है। जैन साध्वी बनने से पहले अनामिका को अपनी निजी जिंदगी में एक मां की ममता से कठिन संघर्ष करना पड़ा। अनामिका की तीन साल की एक बेटी है। पति के संन्यास लेने के बाद अनामिका को 100 करोड़ की संपत्ति में हिस्सा मिलने वाला था। लेकिन अध्यात्म की तलाश में उसने जिंदगी के सारे एश्वर्य त्याग, मां की करुणा और वात्सल्य सुख का त्याग कर दिया। अब उनकी बेटी उनके पास नहीं रहेगी। अनामिक रौठार ने अपना नाम बदलकर साध्वी अनाकार रख लिया है। अखिल भारतीय साधुमार्गी जैन श्रावक संघ नीमच के जिला इंचार्ज संदीप खाबिया ने कहा कि सूरत में आचार्य रामलाल जी महाराज ने उन्हें साध्वी की दीक्षा दी। आचार्य रामलाल ने ही उनके पति को भी जैन साधु की दीक्षा दी थी।
जब इस जोड़े ने घोषणा की थी कि वे सांसारिक जीवन का त्याग कर अपने आप को अध्यात्म की सेवा में समर्पित करने जा रहे हैं तो जैन समाज में हलचल सी मच गई थी। 3 साल की बच्ची इभया को छोड़ने की इनकी घोषणा की कई लोगों ने आलोचना की थी। कुछ एक्टीविस्ट नीमच में इस बावत स्थानीय प्रशासन के पास भी पहुंचे थे । जबकि कुछ लोगों ने मानवाधिकार आयोग से इसकी शिकायत की थी। शनिवार को जब अनामिका के पति ने संन्यास ग्रहण किया तो लोगों को लगा कि सामाजिक दबाव की वजह से अनामिका अभी कई साल तक साध्वी नहीं बनेंगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
जैन धर्म के गुरुओं का कहना है कि अनामिका ने इस तरह के सवाल उठाने वाले लोगों को कठोर जवाब दिया है। हिन्दुस्तान टाइम्स के मुताबिक जैन धर्म गुरु उदय मुनि ने कहा कि अनामिका ने पूछताछ करने आए अधिकारियों को स्पष्ट शब्दों में जवाब दिया। अनामिका ने कहा, ‘अगर मैं अपनी बच्ची को छोड़ दूंगी तो वो अनाथ नहीं बन जाएगा, मेरे भाई और भाभी को संतान नहीं है और उन्होंने उसे गोद लिया है। मेरे पिता का परिवार रईस है, मेरे ससुर भी पैसे वाले हैं।’ अनामिका ने कहा कि इस बावत लोगों द्वारा लगाये गये आरोप आधारहीन हैं और पब्लिसिटी पाने के लिए किये गये हैं। अनामिका ने जिला अधिकारियों को अपनी बेटे के गोद लेने के दस्तावेज भी दिखाए। बता दें कि सुमित और अनामिक ने संन्यास लेने की घोषणा तब की थी जब इभया महज आठ महीने की थी। इसके बाद इन दोनों संन्यासी जीवन की तैयारियां शुरू कर दी, और पति-पत्नी के रूप में ना रहकर अलग रहने लगे।