मध्यप्रदेश में बीएसपी के समर्थन के बाद कांग्रेस की सरकार बन रही है। सांसद और मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई है। विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा के गढ़ मध्यप्रदेश को ढहाने में कमलनाथ की अहम भूमिका रही। उन्हें करीब 8 महीने पहले एमपी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उस वक्त बीजेपी ने कहा था कि कमलनाथ प्रवासी पक्षी है। चुनाव खत्म होते ही लौट जाएंगे, लेकिन कमलनाथ ने इस बयान को पूरी तरह खारिज कर दिया।
मई में संभाली थी मध्यप्रदेश की जिम्मेदारी
कमलनाथ के मुताबिक, उन्होंने एक मई 2018 को मध्यप्रदेश चुनाव की जिम्मेदारी संभाली थी। हालांकि, राहुल गांधी ने काफी पहले ही जिम्मेदारी संभालने के लिए कहा था, लेकिन वह जानबूझकर देर करते रहे। कमलनाथ को लगता था कि इस काम को कोई अन्य नेता ज्यादा अच्छे तरीके से कर सकता था। इसी वजह से उन्होंने मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद के लिए आवेदन तक नहीं किया। इसके बावजूद राहुल ने उन्हें जिम्मेदारी सौंपी और मध्यप्रदेश भेज दिया।
बीजेपी का गोरक्षा कार्ड उस पर ही लागू किया
कमलनाथ के सामने सबसे बड़ी चुनौती 15 साल से सत्ता में मौजूद भाजपा से निपटने की थी। इसके लिए उन्होंने अपना तमाम अनुभव और राजनीतिक सूझबूझ इस्तेमाल की। मुकाबले के लिए अपने अब तक के अनुभवों से हासिल सारी राजनैतिक सूझबूझ का इस्तेमाल करना होगा. और ऐसा करने के लिए इससे बेहतर क्या होगा कि विरेाधी को खेल में उसकी ही चाल से मात दी जाए? 2 सितंबर को उन्होंने विदिशा के गंज बासोदा में जनसभा की। उस दौरान उन्होंने वादा किया कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो हर ग्राम पंचायत में गोशाला बनाई जाएगी। कमलनाथ ने कहा, ‘‘भाजपा गोरक्षा की बात करती है, लेकिन उसने कुछ किया नहीं। रोजाना सड़कों कई गाय मर जाती हैं, लेकिन बीजेपी कुछ नहीं करती।’’ विश्लेषकों का मानना है कि लोगों पर इस बात का भी असर पड़ा।
संगठन के लिए कड़े कदम भी उठाए
कमलनाथ ने प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति मजबूत करने के लिए कड़े फैसले भी लिए। इसके लिए उन्होंने प्रदेश में मौजूद 63 जिला कांग्रेस कमेटी में से 31 के प्रमुखों को बिना किसी परवाह हटा दिया। कमलनाथ का कहना था कि इनमें से अधिकतर प्रमुख ऐसे थे, जो निष्क्रिय थे। इनके अलावा बाकी प्रमुख संगठन के लिए समस्या खड़ी कर रहे थे। बाकी कमेटी प्रमुखों से साफतौर पर कहा कि वे उम्मीदवारों का समर्थन करें।
प्रशासनिक खंड यूनिटों में बांटकर साधा निशाना
कमलनाथ ने यह समझा कि चुनाव के पहले और चुनाव के दौरान पार्टी के लिए समर्थन जुटाने में ब्लॉक लेवल के नेताओं की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। ऐसे में उन्होंने अपने लोकसभा क्षेत्र छिंदवाड़ा के 11 प्रशासनिक खंडों को 120 यूनिटों में बांट दिया। समय कम होने के कारण वे इसे प्लान को मध्यप्रदेश के सभी 487 ब्लॉक में नहीं लागू कर पाए। उन्होंने केरल के अनुभव से सबक लेते हुए 2 नए सांगठनिक स्तर-मंडलम और सेक्टर का सृजन किया। कांग्रेस के कई सक्रिय विधायकों और जिला कमेटी प्रमुखों से स्पष्ट कहा कि चुनाव के दिन हर बूथ पर स्मार्टफोन से लैस कम से कम एक कार्यकर्ता और अन्य 10 कार्यकर्ता पार्टी की आंख-कान की भूमिका निभाएं।
भाजपा के पैंतरों से ली सीख
कमलनाथ ने मध्यप्रदेश में जीत हासिल करने के लिए भाजपा के कई पैंतरों को सीखा। उन्होंने शिवराज सिंह की तरह विभिन्न समुदायों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। इनमें यादव, गुर्जर, बोहरी, वैश्य, लोधी, सिंधी, पाटीदार, बंजारा और बलाई समुदाय के प्रतिनिधि भी शामिल थे। कमलनाथ ने सभी से वादा किया कि कांग्रेस सत्ता में आई तो इन समुदायों की सभी शिकायतों का समाधान किया जाएगा। उनके हितों की रक्षा की जाएगी। महज 100 दिन के उनके नेतृत्व में भोपाल स्थित कांग्रेस मुख्यालय में नतीजे दिखने लगे थे। प्रदेश कांग्रेस समिति में कमलनाथ ने सेमी-कॉर्पोरेट शैली की कार्यप्रणाली लागू की। इसके तहत कार्यक्रमों और दौरों की योजना, सख्त समय-सारिणी, सूची और अपॉइंटमेंट आदि के बारे में छपा हुआ विवरण मौजूद रहा।
छिंदवाड़ा मॉडल को बनाया बेस
शिवराज अपनी जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान लगातार दिग्विजय सिंह पर निशाना साध रहे थे। वे लोगों को याद दिला रहे थे कि 1993 से 2003 के बीच दिग्विजय की सत्ता के दौरान राज्य किस तरह बदहाल था। यह मामला कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता था। ऐसे में कमलनाथ ने अपने प्रचार अभियान के दौरान नरेंद्र मोदी के ‘गुजरात मॉडल’ की तर्ज पर ‘छिंदवाड़ा मॉडल’ का नारा इस्तेमाल किया। कांग्रेस के नेताओं ने जनसभाओं में जोर-शोर से इस बात को उठाया कि छिंदवाड़ा से नौ बार सांसद बने कमलनाथ ने अपने विजन से इस आदिवासी जिले को औद्योगिक रूप से विकसित और समृद्ध जिला बना दिया।
कमलनाथ ने दोहराई 1998 की कामयाबी
कमलनाथ बताते हैं कि 1998 में भी उन्होंने मध्यप्रदेश में पार्टी के चुनाव अभियान का जिम्मा संभाला था। उस वक्त सबसे पहले उन्होंने एक नवंबर को सतना स्थित शारदा माता के मंदिर के दर्शन किए। मंदिर में उन्हें कांग्रेस की जीत का आशीर्वाद मिला और सभी विपरीत परिस्थितियों को पार करते हुए कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। कमलनाथ को मई 2018 दोबारा मध्यप्रदेश की जिम्मेदारी मिली तो उन्होंने शारदा माता मंदिर के पुराने वाकये को भी याद किया।
शिवराज के मंत्री ने कहा था प्रवासी पक्षी
विधानसभा चुनाव नतीजों से ठीक पहले शिवराज ने कैबिनेट की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में शिवराज कैबिनेट के सभी मंत्री शामिल हुए। इस दौरान कैबिनेट मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा था कि अबकी बार 200 पार और बहुमत से बीजेपी की सरकार। उन्होंने कमलनाथ को प्रवासी पक्षी बताते हुए कहा था कि 11 दिसंबर के बाद वे मध्यप्रदेश से चले जाएंगे।