Madhya Pradesh Politics: मध्य प्रदेश में सरकार के गठन में निर्णायक भूमिका निभाने वाले आदिवासी वोट बैंक पर भारतीय जनता पार्टी की नजरें टिकी हैं। आदिवासियों के पक्ष में द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाने के मास्टर स्ट्रोक के साथ ही भाजपा ने 2023 के विधानसभा चुनावों की तैयारियों को तेज कर दिया है।
मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के दिमाग में एक चिंता का विषय आदिवासी और पिछड़ा वोट है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी एल संतोष ने 1 अक्टूबर को आयोजित एक बैठक में बाद यह मुद्दा उठा। जिसके बाद हाल के स्थानीय निकाय चुनाव परिणामों का आकलन करते हुए राज्य भाजपा अध्यक्ष वी डी शर्मा ने गुरुवार को पांच जिला प्रमुखों को बदल दिया।
पांच जिला प्रमुखों को बदला गया: इनमें ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के भिंड, ग्वालियर, अशोक नगर, कटनी और गुना के जिलाध्यक्ष शामिल थे, जहां भाजपा मुरैना और ग्वालियर मेयर सीटों पर हार गई थी। मध्य प्रदेश में बीजेपी आदिवासी वोट पर कब्जा करने की कोशिश कर रही है, जिसे 2018 के विधानसभा चुनावों में पार्टी के खिलाफ देखा गया था।
पार्टी ने राज्य में 82 आरक्षित एससी/एसटी सीटों में से केवल 34 पर जीत हासिल की थी, जबकि 2013 में यह 59 थी। साल 2021 में पार्टी ने एक व्यापक जनजातीय आउटरीच कार्यक्रम शुरू किया था। प्रदेश में 90 से 100 सीटों पर आदिवासी वोट बैंक निर्णायक भूमिका निभाता है।
लाभार्थी योजनाओं ने पहुंचाया लाभ: इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए मंत्री वी डी शर्मा ने कहा कि यह कहना सही नहीं है कि भाजपा ने स्थानीय निकाय चुनावों में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। उन्होंने कहा, “आदिवासियों ने बड़ी संख्या में इसके लिए मतदान किया। हमने न केवल एक शानदार जीत दर्ज की, बल्कि डिंडोरी से झाबुआ तक आदिवासी बहुल जिलों में सभी स्थानीय निकायों को भी जीता। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लाभार्थी योजनाएं थीं, चाहे वह आवास योजना हो या राशन योजना जिन्होंने पार्टी को फायदा पहुंचाया।”
एससी वोट हो सकता है विभाजित: हालांकि, पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने पुष्टि की कि 1 अक्टूबर की बैठक में उन क्षेत्रों पर व्यापक चर्चा हुई जहां पार्टी कमजोर है और जहां क्षेत्रीय संगठन जैसे कि जयस, भीम आर्मी और एसडीपीआई भाजपा के वोटों में कटौती कर सकते हैं। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “बैठक में इस पर चर्चा की गई कि कैसे क्षेत्रीय संगठन राज्य की राजनीति में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में एससी वोट को विभाजित कर सकता है।”
इन क्षेत्रीय संगठनों से चुनौतियों के अलावा, 1 अक्टूबर की बैठक में भाजपा नेताओं को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया कि लाभार्थी राज्य और केंद्र में पार्टी की सरकारों द्वारा उनके लिए शुरू की गई योजनाओं से पूरी तरह अवगत रहें।
(Story By- Iram Siddique)