Swami Purushottamanand: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बाबा पुरुषोत्तमानंद महाराज 72 घंटे की भू-समाधि के बाद सोमवार (3 अक्टूबर, 2022) को बाहर आ गए। इस दौरान काफी संख्या में लोगों का जमावड़ा लगा रहा। बाबा शुक्रवार सुबह 10 बजे समाधि में गए थे और सोमवार सुबह 11बजे के करीब तय समय के मुताबिक उनकी समाधि के ऊपर रखे लकड़ी के तख्त हटाए गए और उन्हें बाहर निकाला गया। इसके बाद समाधि स्थल पर उनका अभिषेक किया गया और पूजा की गई।

बता दें, शिवराज सरकार ने बाबा को समाधि की अनुमति नहीं दी थी और पुलिस के आला अधिकारियों ने उन्हें ऐसा करने से मना किया था, लेकिन बाबा नहीं मानें और गड्ढे में उतर गए थे। 72 घंटे की समाधि पूरी होने के बाद बाबा ने मीडिया से कई अनुभव साझा किए।

‘युवाओं के भटकाव को लेकर ली थी समाधि’

बाबा पुरुषोत्तमानंद जी महाराज की समाधि की मुख्य वजह युवाओं के भटकाव को लेकर थी, जिससे वो काफी व्यथित थे। उन्होंने कहा कि युवा भटक गया है, इसलिए मैंने समाधि ली थी। मैंने अपनी आंखों से युवाओं को सड़कों पर धूम्रपान और मदिरापान करते हुए देखा है। साथ ही कई प्रकार के नशे करते हुए देखा है। उन्होंने कहा कि युवा इन सभी धूम्रपान को छोड़कर ईश्वर के प्रति अपनी आस्था बढ़ाए और ईश्वर के प्रति नशे में चूर हो जाएं फिर युवा खुद देखे कि वो कहां से कहां पहुंचेगा। बाबा ने कहा कि तीन की समाधि के बाद मैं बिल्कुल स्वस्थ हूं, अगली बार मैं 84 घंटे के लिए समाधि लूंगा। उसके बाद 108 घंटे के लिए जाऊंगा।

‘माता जी ने मुझे सभी लोगों का भ्रमण कराया’

बाबा पुरुषोत्तमानंद महाराज ने कहा कि समाधि की यह अवधि सबसे लंबी थी। उन्होंने कहा कि इसी समाधि के दौरान माता जी से मेरा साक्षात्कार हुआ है। माता जी ने मुझे ब्रह्मलोक समेत सभी लोक का भ्रमण कराया। पुरुषोत्तमानंद ने कहा कि मैं शिवलोक और विष्णुलोक गया। यहां तक कि मैं सभी लोक का भ्रमण करते वहां स्नान करके वापस आया हूं।

जब पत्रकार ने बाबा जी से पूछा कि इतनी शक्ति आपको कहां से मिली कि आप तीन दिनों तक अंदर गुफा (सुरंग) में रहे। इसके जवाब में पुरुषोत्तमानंद जी महाराज ने कहा कि जो सर्वशक्तिमान माता जी हैं, उन्होंने ही मुझको शक्ति प्रदान की है। उन्हीं के कारण आज मैं इस स्थान पर पहुंचा हूं। मुझे अंदर किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हूं।

पुरुषोत्तमानंद ने कहा कि समाधि के दौरान केवल मेरा शरीर पृथ्वी पर था, बाकि मेरी आत्मा जिसको ईश्वर कहते हैं, वो ईंश्वर मेरा ब्रह्मांड में था। तीन दिन की समाधि के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस तपस्या के लिए मुझे 30 साल लग गए।

‘मैंने माता जी से कहा, मैं इस पृथ्वी से जब जाऊं तो अपनी पत्नी के साथ विदा लूं’

पत्रकार ने पूछा कि आप पहले शासकीय सेवा में थे। आध्यात्म की तरफ जाने के लिए आपके मन में कब विचार आया। इस सवाल के जवाब में बाबा जी ने बताया कि शासकीय सेवा में रहते हुए भी मैं अपनी साधना बराबर करता था। उन्होंने कहा कि इसमें मेरी धर्म पत्नी का पूरे जीवन में बहुत सहयोग रहा है। पुरुषोत्तम महाराज ने कहा कि मैंने माता जी से यह भी कहा कि जब भी मैं इस पृथ्वी से जाऊं तो अपनी पत्नी के साथ ही जाऊं।