Lok Sabha Election 2019: कपिल सिब्बल ने आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल पर तंज करते हुए कहा कि कांग्रेस के साथ गठबंधन की कोशिशों के दौरान वे ‘ओवर स्मार्ट’ बन रहे थे। इस चुनाव के बाद उन्हें पता चल जाएगी कि ‘दिल्ली में उनकी असली हैसियत’ क्या है। दिल्ली के चांदनी चौक से पूर्व सांसद कपिल सिब्बल ने कहा, “गठबंधन से कांग्रेस और आप दोनों को मदद मिलती, अगर यह सिर्फ दिल्ली तक सीमित होता। लेकिन केजरीवाल ने इसमें दिलचस्पी नहीं ली। मूलत: यह पूरी पैंतरेबाजी दिल्ली से बाहर अपना आधार बनाने के लिए की गई। यह राजनीतिक उद्देशय है। हम उसका शिकार नहीं हो सकते। यह चुनाव दिखाएगा कि दिल्ली में उनकी हैसियत क्या है? ‘आप’ ओवर स्मार्ट बनने की कोशिश में थी। वह दिल्ली के साथ अन्य राज्यों में भी गठबंधन करना चाहती थी।”

कपिल सिब्बल ने उक्त बातें उस सवाल के जवाब में कही, जिसमें उनसे पूछा गया कि यदि चुनाव से पहले आप के साथ गठबंधन कांग्रेस के कि लिए कितना महत्वपूर्ण रहता। गौरतबल है कि आम आदमी पार्टी वर्ष 2015 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान कुल 70 में से 67 सीटों पर जीत हासिल की थी। दोनों पार्टियों (कांग्रेस और आप) के बीच गठबंधन को लेकर लंबे समय तक बातचीत हुई। आप गठबंधन बनाने के लिए कांग्रेस से ज्यादा उत्सुक दिखी। हालांकि, इसका कुछ नतीजा नहीं निकला। इसके बाद आप नेताओं और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना भी साधा।

सिब्बल कहते हैं, “दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में से कांग्रेस 4-3 फॉर्मूले के आधार पर गठबंधन करना चाहती थी। इसके बाद वे पंजाब, गोवा पर बात करने लगे। बाद में पंजाब और गोवा को छोड़ हरियाणा में गठबंधन के तहत सीट मांगने लगे। हरियाणा में उनकी (आप) की किसी तरह की उपस्थिति नहीं है। उनका आधार नहीं है। ऐसे में हम हरियाणा में गठबंधन के लिए क्यों तैयार हो जाते? उन्होनें नई पार्टी जेजेपी (जननायक जनता पार्टी) के साथ गठबंधन किया था। वे (आप) ओवरस्मार्ट बनने की कोशिश कर रहे थे। ज्यादा चालाक बनने की कोशिश कर रहे थे।”

सिब्बल चांदनी चौक सीट से चुनाव लड़ने के इच्छुक थे क्योंकि वे यहां से पहले सांसद रह चुके हैं। लेकिन पार्टी ने दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को चांदनी चौक से मैदान में उतारा है। खुद को चुनाव में न उतारे जाने पर सिब्बल कहते हैं, ” पहली बात ये कि अगले तीन सालों के लिए मैं राज्यसभा में हूं। यदि मैं लोकसभा चुनाव जीत जाता तो कांग्रेस की राज्यसभा में एक सीट कम हो जाती। राज्यसभा की सीट काफी महत्वपूर्ण होती है। दूसरी बात ये है कि वर्तमान में मैं सुप्रीम कोर्ट में कई सारे मामलों को देख रहा हूं। लोकसभा चुनाव में आने के बाद मैं उन मामलों को सही से नहीं देख पाता और वकील बदलने की जरूरत पड़ जाती।”