लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) में जीत हासिल करने के लिए इंडिया गठबंधन और एनडीए दोनों ही यूपी पर सबसे ज्यादा फोकस कर रहे हैं। एनडीए ने जहां आगामी चुनाव के लिए रालोद और सुभसपा को अपने साथ जोड़ा है तो वहीं इंडिया गठबंधन में सपा-कांग्रेस सहित कई छोटे दल शामिल है। हालांकि फिर भी सियासी जानकारों का मानना है कि चुनाव में बीजेपी गठबंधन को टक्कर देना इंडिया गठबंधन के लिए आसान नहीं होगा।
क्यों बीजेपी को पछाड़ना आसान नहीं?
बीजेपी ने बढ़ाया कुनबा- विधानसभा चुनाव 2022 के मुकाबले यूपी में बीजेपी का कुनबा बढ़ा है। 2024 के चुनाव से पहले बीजेपी ने अपने साथ न सिर्फ जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल बल्कि ओम प्रकाश राजभर की सुभसपा को भी अपने साथ जोड़ा है। 2019 के चुनाव में रालोद सपा के साथ थी जबकि 2022 में ये दोनों ही दल अखिलेश संग गठबंधन कर चुनाव में उतरे थे।
राम मंदिर बना हकीकत- 2019 के लोकसभा चुनाव के समय राम मंदिर का मामला कोर्ट में था लेकिन 2024 के चुनाव से पहले राम मंदिर वास्तविकता बन चुका है। हर रोज हजारों की संख्या में श्रद्धालु रामलला के दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि राम मंदिर फैक्टर का असर इस बार चुनाव में दिखाई देगा।
योगी की ताकत- पिछले लोकसभा चुनाव से पहले योगी सरकार को यूपी में सिर्फ दो साल हुए थे। योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद बीजेपी गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में हार गई लेकिन इसके बाद उसने 2022 विधानसभा चुनाव में सत्ता में दमदार वापसी की। 2022 के विधानसभा चुनाव में योगी सरकार केंद्र की योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करने और यूपी में कानून व्यवस्था को पटरी में लाने में भी काफी हद तक सफल रही, जिसका फायदा उसे चुनाव में मिला।
बीएसपी इस बार साथ नहीं- साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी और सपा ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, बावजूद इसके दोनों ही दल सिर्फ 10 सीटों पर जीत दर्ज कर पाए थे। इस बार चुनाव में बसपा अकेले उतरने का ऐलान कर चुकी है। सियासत में बीएसपी का ग्राफ गिर रहा है लेकिन फिर भी उसके पास अपना कैडर वोट है। अखिलेश और मायावती का अलग-अलग लड़ना बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। 2014 में जब ये दोनों दल अलग-अलग चुनाव लड़े थे तब बीजेपी को 71 सीटें मिली थीं जबकि बसपा को शून्य, कांग्रेस को 2 और सपा को 5 सीटों से संतोष करना पड़ा था।
किसान आंदोलन- विधानसभा चुनाव 2022 के समय किसान आंदोलन को एक बड़ा फैक्टर माना जा रहा था। हालांकि जब परिणाम आए तो बीजेपी ने पश्चिमी यूपी में नुकसान के बावजूद विपक्षी गठबंधन में शामिल दलों के मुकाबले ज्यादा सीटें जीतीं। इस बार पार्टी ने यहां रालोद को अपने साथ ले लिया है। वैसे भी इस बार यूपी में किसान आंदोलन का पिछली बार जितना असर नहीं दिखाई दे रहा है। दूसरी तरफ बीजेपी सरकार ने किसानों को रिझाने के लिए MSP बढ़ाई है और कई फसलों पर MSP देने का ऐलान किया है। इसके अलावा योगी सरकार ने हाल के बजट में किसानों के लिए कई बड़े ऐलान किए हैं।