कानपुर लोकसभा सीट पर 27 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया था। जिला निर्वाचन अधिकारी ने नामांकन के लिए जमा दस्तावेजों की जांच करते हुए 13 प्रत्याशियों के नामांकन निरस्त कर दिए हैं। इनमें शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के राजीव मिश्रा भी शामिल हैं। प्रसपा के राजीव मिश्रा ने आरोप लगाया कि जिला निर्वाचन अधिकारी विजय विश्वास पंथ बीजेपी के दबाव में काम कर रहे हैं। कानपुर का ब्राह्मण वोट कट न जाए इसलिए मेरे नामांकन को निरस्त किया गया है। उन्होंने कहा कि वे इलाहबाद हाईकोर्ट में जिला निर्वाचन अधिकारी के खिलाफ अपील करेंगे। कानपुर और अकबरपुर लोकसभा सीट पर जिला निर्वाचन अधिकारी सरकार के दबाव में काम कर रहे हैं।

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के कानपुर लोकसभा सीट से कैंडिडेट राजीव मिश्रा के नामांकन निरस्त होने के बाद कानपुर के राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया। राजीव मिश्रा बीते 8 अप्रैल को पार्टी के कार्यकर्ताओं और अपने प्रस्तावकों के साथ नामांकन कराने पहुंचे थे। उनके साथ जो प्रस्तावक थे उनकी उम्र करीब 80 वर्ष थी। धूप में चलने की वजह से उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। प्रत्याशियों और प्रस्तावकों के लिए कलेक्ट्रेट में पीने के पानी और बैठने की व्यवस्था नहीं थी। इसके खिलाफ प्रसपा प्रत्याशी राजीव मिश्रा ने जिलाधिकारी मुर्दाबाद के नारे लगाए थे। राजीव मिश्रा का आरोप है कि मैंने डीएम के खिलाफ नारेबाजी थी यह बात उन्हें नागवार गुजरी थी।

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राजीव मिश्रा ने आरोप लगाया कि कलेक्ट्रेट में बीजेपी के कैंडिडेट सत्यदेव पचौरी को जिला प्रशासन ने एसी रूम में बिठाया था। जिला प्रशासन के अधिकारी खुद उनके नामांकन फॉर्म को कंप्लीट कराने का काम कर रहे थे। जिला प्रशासन की तरफ से बीजेपी प्रत्याशी के लिए चाय-नाश्ता-पानी मंगाया जा रहा था। कलेक्ट्रेट के बाहर खड़े हमारे जैसे और भी अन्य प्रत्याशियों के लिए पीने का पानी और बैठने के लिए कुर्सी भी नहीं थी।

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राजीव मिश्रा ने कहा, ‘बीजेपी को इस बात का डर था कि यदि मैं कानपुर से चुनाव लड़ूंगा तो ब्राह्मण वोट कट जाएगा। इससे बीजेपी को नुकसान होगा। बीजेपी के कहने पर कानपुर जिला निर्वाचन अधिकारी ने मेरा नामांकन निरस्त किया है। इस तरह से जब अधिकारी ही इसमें मिले हों तो निष्पक्ष चुनाव नहीं हो सकते हैं। इसकी शिकायत हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक करूंगा।’

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