Lok Sabha Chunav West UP: पश्चिमी यूपी में 19 अप्रैल को लोकसभा का पहले चरण का मतदान होना है, लेकिन उससे पहले ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने पश्चिमी यूपी की हकीकत जानने की कोशिश की है। जिसमें प्रमुख रूप इस बात पर जोर दिया गया है कि आखिर पश्चिमी यूपी में मतदाताओं का मूड किधर है या उनके मन में सबसे बड़ा मुद्द क्या है। सच्चाई जानने पर यह पता चला है कि महंगाई, ईडी की कार्रवाई और इलेक्टोरल बॉन्ड मुद्दे हैं, लेकिन यह मुद्दे जाति और धर्म से ऊपर नहीं हैं।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई निर्वाचन क्षेत्रों के कई मतदाताओं के बीच दिल्ली की गिरफ्तारियों से लेकर केंद्रीय एजेंसियों की हालिया कार्रवाइयों के मद्देनजर विपक्षी दलों के लिए कुछ आवाजें तो उठती हैं। जिसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन से लेकर आयकर विभाग द्वारा कांग्रेस पार्टी के बैंक खातों को फ्रीज करने समेत अन्य मामले हैं, हालांकि लोग इन कार्रवाइयों के समय पर सवाल उठाते हैं, लेकिन उन्हें चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ वोट करने के लिए यह एक मजबूत कारण नहीं लगता है।

यूपी में इंडिया गठबंधन जिसमें समाजवादी पार्टी (सपा), कांग्रेस और आप शामिल हैं। इन पार्टियों ने विपक्षी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई को लोकतंत्र पर कथित हमला बताया। साथ चुनावी बॉन्ड को घोटाला करार दिया, लेकिन ये मुद्दे गांव की चौपालों पर बातचीत पर हावी होना अभी बाकी है। इसके बजाय, ग्रामीण मतदाता मुख्य रूप से जाति और स्थानीय उम्मीदवारों के प्रभाव पर चर्चा कर रहे हैं।

पिछले शुक्रवार को मुजफ्फरनगर के खतौली में एक निजी चीनी मिल के बाहर एक लंबी राजनीतिक बहस के दौरान बाहनपुर गांव के गन्ना किसान गुड्डु गुर्जर ने मुद्रास्फीति और फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले “डंगर (आवारा मवेशी)” के खतरे के लिए नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना की।

विपक्षी नेताओं के खिलाफ एजेंसियों की कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर गुज्जर ने कहा कि सरकार अपने खिलाफ बोलने वाले हर व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ईडी जैसी एजेंसियों का उपयोग उसी दृष्टिकोण के साथ कर रही है,जैसे जिसकी लाठी, उसकी भैंस (जिसकी लाठी, उसकी भैंस)। अगर ईडी निष्पक्ष होती तो कुछ बीजेपी नेताओं के खिलाफ भी कार्रवाई करती। क्या बीजेपी के सभी नेता निर्दोष हैं? यहां ऐसे भाजपा नेता हैं जिनके पास 2017 से पहले कुछ भी नहीं था, लेकिन आज उनके पास जमीन और एसयूवी हैं।

चीनी मिल के ठीक बाहर मिनी हार्वेस्टर बेचने की दुकान चलाने वाले भाजपा समर्थक विनोद सैनी ने आश्चर्य जताया कि एजेंसियों ने पिछले 10 वर्षों में विपक्षी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की। उन्होंने कहा कि चुनाव से ठीक पहले इन नेताओं को भ्रष्टाचार के मामलों में फंसाकर, भाजपा विपक्ष को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। वह सारे विकल्प ख़त्म करना चाहती है। यह एक तरीके की तानाशाही है।

खतौली के इस क्षेत्र में मुसलमानों और दलितों के अलावा सैनी और जाट जैसे ओबीसी समुदायों की एक बड़ी आबादी है। भाजपा ने 2017 और 2022 में खतौली विधानसभा सीट जीती थी, इसके ओबीसी नेता विक्रम सिंह सैनी ने 2022 में राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के राजपाल सिंह सैनी को हराया था। लेकिन 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े एक मामले में विक्रम को दोषी ठहराए जाने के बाद और नवंबर 2022 में अयोग्य घोषित होने के बाद, इस सीट पर दिसंबर 2022 में उपचुनाव हुआ, जिसमें आरएलडी के मदन भैया ने भाजपा उम्मीदवार विक्रम की पत्नी राजकुमारी को 22,143 वोटों से हराया।

आरएलडी, जिसका पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में समर्थन आधार है, इस साल फरवरी में इंडिया ब्लॉक से निकलकर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल हो गई, जिससे उसे चुनावों में बढ़त मिल गई।

कवल गांव, जो मुजफ्फरनगर जिले के अंतर्गत आता है, लेकिन बिजनौर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है, यहां के किसान कृष्णपाल सैनी ने विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी के बारे में बोलते हुए कहा, “जो गलती करेगा, उसे उसकी गलती चुकानी पड़ेगी। इसके लिए कोई सहानुभूति नहीं होनी चाहिए। लेकिन बीजेपी के अंदर के भ्रष्टाचारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। स्थानीय सरकार के हर स्तर पर भ्रष्टाचार व्याप्त है, लेकिन यहां कार्यालयों पर कोई छापेमारी नहीं होती। कोई मंत्री या सांसद किसी कार्यालय का निरीक्षण नहीं करता।

2013 में कवल में हुई थी हिंसा

कवल वह स्थान है जहां 2013 में तीन युवकों – दो जाट, सचिन और गौरव, और एक मुस्लिम, शाहनवाज की हत्या के कारण पूरे मुजफ्फरनगर में दंगे हुए थे, जिसमें 62 लोग मारे गए थे और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए थे। सचिन और गौरव मीरापुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कवाल गांव के एक मजरे मलिकपुरा में रहते थे। इस बार बिजनौर लोकसभा सीट पर मीरापुर से रालोद विधायक चंदन चौहान एनडीए के उम्मीदवार हैं।

कवल से हापुड-बरेली राजमार्ग के पार स्थित जानसठ कस्बे के जाट बहुल राठूर गांव में किसान वीरेंद्र सिंह अहलावत जो एक जाट हैं। उन्होंने कहा कि 2017 से पहले मुजफ्फरनगर की एक “काली छवि” थी, जिसका मुख्य कारण तत्कालीन एसपी के तहत खराब कानून व्यवस्था थी। वह सरकार जिसने “मुसलमानों को खुली छूट दी थी”। “अब, इस गांव में कोई छेड़छाड़ नहीं है, और लड़कियां सुरक्षित रूप से स्कूल जा सकती हैं। इसलिए मैं कानून एवं व्यवस्था पर वोट करता हूं।

ईडी और आईटी विभाग की कार्रवाइयों पर उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले ऐसी कार्रवाइयां “अन्यायपूर्ण” हैं, लेकिन गैर-भाजपा उम्मीदवार को वोट देना उनके लिए ठीक नहीं है। राठूर मुजफ्फरनगर सीट का हिस्सा है जहां केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान सपा के पूर्व सांसद हरेंद्र सिंह मलिक के खिलाफ भाजपा के उम्मीदवार हैं। दोनों जाट हैं।बसपा ने ओबीसी वर्ग के दारा सिंह प्रजापति को मैदान में उतारा है।

रालोद समर्थक अहलावत अपने गठबंधन के कारण मुजफ्फरनगर में भाजपा उम्मीदवार को वोट देंगे। उनकी पत्नी सोमवती, जो मोदी की प्रशंसक हैं, उन्होंने अपने पति की पसंद के कारण 2014 और 2019 में आरएलडी को वोट दिया था। सोमवती ने कहा कि लेकिन वो इस बार मोदी को वोट देंगी। सोमवती का बेटा सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, जो कुवैत में काम करता है।

अहलावत के मित्र भंगेराम सैनी ने कहा कि भाजपा द्वारा वादा किया गया समान नागरिक संहिता (यूसीसी) एक “आवश्यकता” है। उन्होंने कहा कि “जनसंख्या असंतुलन” को नियंत्रित करने के लिए जोड़ों को दो बच्चों तक सीमित रखना आवश्यक है। “लेकिन यूसीसी वह कारण नहीं है जिसके लिए मैं भाजपा को वोट दूंगा। मैं स्थानीय मुद्दों पर वोट करूंगा।”

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चुनावी बांड को लेकर बीजेपी पर विपक्ष के आरोपों पर उन्होंने कहा, ”ये चंदा लेने का जरिया हैं। पहले भी सत्ताधारी पार्टियों को सबसे ज्यादा चंदा मिला है। इसमें नया क्या है?”

अपने “न्याय पत्र” में किसानों के लिए कांग्रेस के वादों पर उन्होंने कहा कि एमएसपी किसानों के लिए चिंता का विषय है। लेकिन जब कांग्रेस ने इतने वर्षों तक शासन किया तो उसने एमएसपी सुनिश्चित क्यों नहीं किया। हम गन्ना किसानों को फसल का मूल्य समय पर मिल रहा है। मुझे पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ और वृद्धावस्था पेंशन भी मिलती है।

कांग्रेस पर आईटी छापों के बारे में बिजनौर जिले के नगीना शहर के एक ब्राह्मण प्रदीप कर्णवाल ने कहा, “भाजपा मनमर्जी कर रही है। अगर कांग्रेस बैंक खातों में जमा पैसे का उपयोग नहीं कर सकती तो प्रचार कैसे करेगी? इससे पता चलता है कि या तो भाजपा विपक्ष को पूरी तरह से खत्म करना चाहती है – जो लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है, या सत्तारूढ़ दल को इस बार सीटें खोने का डर है। कांग्रेस, सपा और आप ‘लोकतंत्र की रक्षा’ की दुहाई देकर ऐसे मुद्दे उठा रही हैं। लेकिन ऐसे मुद्दे अकेले किसी पार्टी के पक्ष या विपक्ष में वोट देने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। जो लोग भाजपा, सपा, बसपा आदि को वोट देते हैं, वे जाति और धर्म पर वोट करेंगे।

केजरीवाल की गिरफ्तारी के संबंध में मुरादाबाद के कांठ इलाके में मोहम्मद नईम ने कहा कि दिल्ली के सीएम और AAP देश भर में यहां तक ​​कि पश्चिमी यूपी में भी लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आप के प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी ने इंडिया ब्लॉक की गति को बाधित कर दिया है। इसलिए विपक्षी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई भाजपा की रणनीतिक चाल प्रतीत होती है।

वो कहते हैं कि लोग इन मुद्दों के बारे में सोचते हैं, लेकिन आख़िरकार वे जाति, धर्म और सरकार से मिलने वाले फ़ायदों पर वोट देते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ मुसलमान भी बीजेपी का समर्थन करते हैं क्योंकि उन्हें डर है कि अगर बीजेपी हार गई तो नई सरकार गरीबों के लिए मुफ्त राशन जैसी योजनाएं बंद कर सकती है। महंगाई के दौर में मुफ्त भोजन मिलना बड़ी राहत है। बता दें, पश्चिम यूपी में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में आठ सीटों – सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मोरादाबाद, रामपुर और पीलीभीत में मतदान होना है।