बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। पहले चरण के मतदान में अब तीन हफ्ते का समय ही रह गया है। हालांकि, इससे पहले ही राज्य में जोड़-तोड़ की राजनीति की शुरुआत हो गई है। सबसे पहली टूट भाजपा से हुई है, जिसके दो बड़े नेता एनडीए से अलग चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी लोजपा में शामिल हो गए। माना जा रहा है कि चिराग पासवान इन नेताओं को जदयू के खिलाफ ही उम्मीदवार के तौर पर खड़ा करेंगे।
लोजपा के इस जोड़-तोड़ और बिहार में सिर्फ जदयू के खिलाफ चुनाव लड़ने के फैसले से एनडीए गठबंधन में भी तनाव का दौर जारी है। इसकी शुरुआत पिछले हफ्ते ही हुई थी, जब लोजपा ने ऐलान किया था कि उसने भाजपा के उप प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र सिंह को पार्टी बदलने के लिए मना लिया है और दिनारा से अपने टिकट पर लड़वाने फैला किया है। बता दें कि राजेंद्र सिंह भाजपा के मजबूत नेता हैं और 2015 के राज्य चुनाव में भाजपा की ओर सीएम पद के संभावित चेहरे थे। हालांकि, उन्हें जदयू के जय कुमार सिंह से हार मिली थी।
सोमवार को भाजपा के एक और नेता बरुण पासवान ने भी लोजपा का हाथ थाम लिया। उन्हें कुटुम्बा सीट से हम प्रत्याशी के खिलाफ उतारा जा सकता है। बरुण के जाने के बाद एनडीए गठबंधन में इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई कि भाजपा जदयू के खिलाफ पैदा हुई एंटी-इनकंबेंसी (सत्ता विरोधी लहर) का फायदा उठाने के लिए लोजपा को अपनी कठपुतली की तरह इस्तेमाल करने में जुट गई है।
जहां लोजपा कैंप के सूत्रों ने कहा है कि भाजपा के अन्य नेता भी जल्द ही उसके साथ जाएंगे, वहीं लोजपा के महासचिव अब्दुल खालिक ने उम्मीदवारों के नाम और ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया। हालांकि, उन्होंने इशारों में अपनी योजना बताते हुए कहा, “हमारे कार्यकर्ता हमारी पहली प्राथमिकता हैं, लेकिन जीतने की क्षमता हमेशा अहम रही है।”
नीतीश कुमार ने जताया भाजपा के साथ गठबंधन पर भरोसा: इस बीच नीतीश कुमार ने लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान पर निशाना साधते हुए कहा, “हम (जदयू) और भाजपा लंबे समय से साथ काम कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। मैं इस पर प्रतिक्रिया नहीं देता कि और लोग क्या कहते हैं। कुछ लोगों को मेरी आलोचना कर के ही सुकून मिलता है।”