बिहार विधानसभा चुनाव के ऐलान में अभी समय बाकी है लेकिन राज्य में दल-बदल का खेल अभी से शुरू हो चुका है। मंगलवार को कई नेता बीजेपी में शामिल हुए, जिनमें पूर्व IPS आनंद मिश्रा, पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि और उनकी पत्नी सुचित्रा सिन्हा शामिल हैं। हालांकि इन सभी में सबसे ज्यादा चर्चा पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि की हो रही है।
नागमणि 70 के दशक में बिहार में पिछड़े वर्ग के नेता रहे जगदेव प्रसाद के बेटे हैं। जगदेव को ‘बिहार का लेनिन’ भी कहा जाता था। बिहार के कई शहरों में आज भी उनके नाम पर स्मारक, मूतियां और चौराहे मौजूद हैं। हालांकि नागमणि अपने पिता की विरासत नहीं संभाल सके। वे अब तक एक दर्जन से ज्यादा बार पार्टियां बदल चुके हैं।
नागमणि का बीजेपी में शामिल होना क्यों चौंकाने वाला?
बिहार में जदयू और बीजेपी सत्ता में शामिल हैं। नागमणि कुछ समय पहले तक राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे थे। वे डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और उपेंद्र कुशवाहा पर भी तंज कस चुके हैं। वह छह महीने पहले तक PK का गुणगान कर रहे थे। बिहार के सियासी जानकारों का मानना है कि बीजेपी उनके जरिए कोइरी वोटरों को साधने का प्रयास करेगी। माना जाता है कि बिहार में 7 से 8 फीसदी आबादी कोइरी जाति की है।
किन पार्टियों में रह चुके हैं नागमणि?
नागमणि ने अपनी सियासत की शुरुआत शोषित समाज दल (पिता जगदेव प्रसाद की पार्टी) से की थी। इसके बाद वह कांग्रेस, जनता दल, राष्ट्रीय जनता दल (RJD), राष्ट्रीय जनता दल (डेमोक्रेटिक), बहुजन समाज पार्टी (BSP), लोक जनशक्ति पार्टी (LJP), जदूय (JDU), नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP), ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (AJSU), समरस समाज पार्टी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी में होते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) में आए हैं। वह पहले भी बीजेपी में रह चुके हैं।
नागमणि के बीजेपी में शामिल होने से एनडीए के कई नेताओं को हो सकती है दिक्कत?
बिहार के सियासी जानकारों की मानें तो कोइरी जाति से आने वाले नागमणि के बीजेपी में शामिल होने से सबसे ज्यादा परेशानी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेताओं को ही हो सकती है। उनके बीजेपी में शामिल होने से कोइरी मतदाता एनडीए के पूरी तरह पक्ष में आ सकते हैं। यह नीतीश कुमार के लिए चुनौती से कम नहीं।