वित्त विधेयक के जरिये कई महत्वपूर्ण कानूनों में बदलाव का कड़ा विरोध करते हुए विपक्षी दलों ने बुधवार को आरोप लगाया कि इसके जरिये सरकार संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन कर रही है। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार राज्यसभा के अधिकारों को कमतर कर रही है और जिस तरह से आयकर अधिकारियों को अनावश्यक अधिकार दिए जा रहे हैं, उससे देश में इंस्पेक्टर राज कायम हो जाएगा। वित्त विधेयक 2017-18 पर राज्यसभा में चर्चा में भाग लेते हुए कांगे्रस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि मौजूदा सरकार महत्वपूर्ण विधेयकों को उच्च सदन में मतदान से बचने के लिए उन्हें धन विधेयक में परिवर्तित कर देती है। यह सरकार की राजनीतिक मजबूरी हो सकती है। किन्तु जिस प्रकार वित्त विधेयक में 40 कानूनों में संशोधन के प्रस्ताव किए गए हैंं, उससे राज्यसभा के सदस्यों के अधिकारों को कुचला जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने ‘न्यूनतम सरकार अधिकतम शासन’ का वादा किया था। किंतु आज स्थितियां बिल्कुल विपरीत हो गई हैं।

उन्होंने कहा कि आयकर कानून में छापों के संदर्भ में जिस तरह के संशोधन लाए गए और जिस तरह से आयकर अधिकारियों को अधिकार दिए गए हैं, उससे देश में बड़े पैमाने पर इंस्पेक्टर राज कायम हो जाएगा। अभी तक आयकर छापे मारने के लिए आयुक्त स्तर के अधिकारी की अनुमति की जरूरत पड़ती थी किन्तु ताजा संशोधन के जरिये यह अधिकार उपायुक्त स्तर के अधिकारियों को भी दिए गए हैं। सिंह ने कहा कि गुजरात के एक पूर्व भाजपा विधायक ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर नोटबंदी के दौरान अमदाबाद शहरी सहकारी बैंक में बड़ी मात्रा में नए नोट पहुंचने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार को यह बताना चाहिए कि इस बैंक में उस दौरान कितने नोट पहुंचाए गए। ग्रामीण सहकारी बैंकों को चार दिनों के लिए पुराने नोट जनता से लेने का अधिकार दिया गया जो बाद में वापस ले लिया गया। इन बैंकों में रखे पुराने नोटों का क्या होगा क्योंकि इन बैंकों को पुराने नोटों के लिए ब्याज भी देना पड़ रहा है।

जद (एकी) के हरिवंश ने कहा कि वित्त विधेयक के प्रावधानों के कारण इसके पारित होने के बाद सरकार और सुप्रीम कोर्ट में टकराव होने की प्रबल आशंका है। वित्त विधेयक के जरिये 18 न्यायाधिकरणों का विलय किया गया है। यदि इसके लिए सरकार अलग से कानून लाती और उस पर विस्तृत चर्चा होती तो कुछ नए सुझाव सामने आते हैं। यदि प्रस्तावित संशोधन पारित हो जाते हैं तो सरकार को न्यायाधिकरणों में अपने लोगों को बैठाने का अवसर मिलेगा। न्यायाधिकरण में आने वाले ज्यादातर मामलों में सरकार एक पक्ष होती है। ऐसे में यह संशोधन प्रस्ताव प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद आयकर विभाग ने 13 लाख लोगों को नोटिस भेजे हैंं। ऐसे लोगों को जवाब देने के लिए चार्टर्ड एकाउंटेंट से संपर्क करना पड़ा। सरकार के इस कदम से चार्टर्ड एकाउंटेंटों की आय अचानक बढ़ गई है। सरकार ने जिस प्रकार आयकर अधिकारियों को बहुत से अधिकार देने का प्रस्ताव किया है, उसे देश धीरे-धीरे फिर से इंस्पेक्टर राज में प्रवेश कर जाएगा।

माकपा के तपन कुमार सेन ने कहा कि बहुमत के आधार पर संवैधानिक प्रावधानों के साथ समझौता नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने न्यायाधिकरणों के मामले में सरकार द्वारा लाए गए प्रावधानों का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि सरकार हमारे संविधान के प्रति गंभीर अपराध कर रही है। इससे देश की लोकतांत्रिक संस्थाएं कमजोर होंगी।
मनोनीत केटीएस तुलसी ने कहा कि सरकार का अपनी विभिन्न कल्याण योजना के लिए आधार को अनिवार्य बनाए जाने का कदम सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने रसोई गैस सबसिडी सहित मात्र छह योजनाओं के लिए आधार को अनिवार्य बनाने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने आधार को लेकर लोगों के व्यक्तिगत आंकड़ों की हैकरों से सुरक्षा के लिए क्या उपाय किए हैंं। तुलसी ने वित्त विधेयक के जरिये सात न्यायाधिकरणों को बंद किए जाने के प्रावधान का विरोध करते हुए कहा कि सरकार न्यायाधिकरण प्रणाली में बदलाव कर रही है।