पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भाजपा शासित राज्यों में बंगाली बोलने पर बंगालियों के कथित उत्पीड़न के विरोध में सड़कों पर उतर आई हैं। जिसके चलते अब, कोलकाता नगर निगम (KMC) ने अपने पार्षदों के लिए मासिक बैठकों में बंगाली में बोलना अनिवार्य कर दिया है। केएमसी अध्यक्ष माला रॉय के एक हालिया निर्देश में सभी महापौर परिषद सदस्यों और पार्षदों से भविष्य के सत्रों में प्रश्नकाल के दौरान बंगाली भाषा का प्रयोग करने को कहा गया है।

यह निर्देश पिछले हफ़्ते सदन के मासिक सत्र के बाद आया है, जहां वार्ड 49 की एक टीएमसी पार्षद ने अपना सवाल अंग्रेज़ी में पूछा था। सवाल पूछे जाने के बाद, केएमसी अध्यक्ष रॉय ने मेयर फिरहाद हकीम को बंगाली में उत्तर देने का निर्देश दिया। इसके बाद अध्यक्ष ने घोषणा की कि अब से केएमसी की सभी कार्यवाही बंगाली में होगी।

KMC की मासिक बैठक बंगाली में होगी

केएमसी अधिकारियों के अनुसार, माला रॉय ने अपने कार्यालय को सभी आधिकारिक कार्य, मासिक बैठकों सहित, बंगाली में करने का भी आदेश दिया है। मीडिया से बात करते हुए, रॉय ने कहा, “अब से, मासिक बैठकें बंगाली में होंगी। अब, संसद में भी हम बंगाली में बोलेंगे। पहले ऐसा नहीं था। राज्य ने पहले ही कदम उठा लिए हैं ताकि साइनबोर्ड मुख्य रूप से बंगाली में लिखे जाएँ और अब मासिक बैठकों में प्रश्न और उत्तर बंगाली में होंगे। हम इस संबंध में सभी को सूचित करेंगे।”

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‘पार्षद अपने सवाल बंगाली में ही पेश करें’

केएमसी सूत्रों के अनुसार, यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाएंगे कि आगे से पार्षद अपने सवाल बंगाली में ही पेश करें। हालांकि, कई लोगों ने बताया कि पहले भाषा पर कोई प्रतिबंध नहीं था। वार्ड 50 से भाजपा पार्षद सजल घोष ने कहा, “बंगाली भाषा को सिर्फ़ मासिक बैठकों तक ही सीमित क्यों रखा जाए? केएमसी के सभी साइनबोर्डों पर उर्दू हटाकर उन्हें पूरी तरह से बंगाली क्यों नहीं बनाया जाए? केएमसी की आधिकारिक स्टेशनरी पर अब भी उर्दू लिपि क्यों लिखी होती है?”

हाल ही में कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम ने कहा कि दुकानों और रेस्टोरेंट समेत सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के साइनबोर्ड और होर्डिंग अन्य भाषाओं के साथ बंगाली में भी लिखे जाने चाहिए। पिछले साल, कोलकाता नगर निगम ने होर्डिंग समेत सभी व्यावसायिक साइनबोर्डों पर अन्य भाषाओं के साथ बंगाली भाषा का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया था। इस नियम को लागू करने की समय सीमा 21 फ़रवरी, 2025 तय की गई थी। पढ़ें- CM नीतीश ने 3 गुना बढ़ाया मानदेय; मिलेंगे इतने रुपये