बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के परिवार को नौकरी के बदले जमीन घोटाले में गुरुवार को अस्थायी राहत मिली। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सीबीआई मामले में लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव, मीसा भारती, हेमा यादव और अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश टाल दिया।
अदालत ने सीबीआई को आरोपियों की स्थिति का सत्यापन करने का आदेश दिया है। यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि कार्यवाही के दौरान कुछ आरोपियों की मृत्यु हो गई हैं। कोर्ट ने सीबीआई से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है और मामले की अगली सुनवाई आठ दिसंबर के लिए तय की है। बता दें कि सीबीआई ने इस मामले में कुल 103 लोगों को आरोपी के तौर पर चार्जशीट दाखिल की थी। इनमें से चार लोगों की कार्यवाही के दौरान मृत्यु हो गई थी।
क्या है जमीन के बदले नौकरी का मामला?
यह पूरा मामला रेलवे में नौकरियों के बदले राज्य सरकार की जमीन के आवंटन में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है। केंद्रीय एजेंसी ने दावा किया है कि सरकारी जमीन का इस्तेमाल लालू परिवार ने निजी फायदे के लिए किया, जबकि जमीन का इस्तेमाल जनहित में होना चाहिए था। इससे पहले 11 सितंबर को, कोर्ट ने नौकरी के बदले जमीन के अधिग्रहण पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। लालू यादव के वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने दलील दी कि पूरा मामला राजद नेता को बदनाम करने के लिए राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने आगे कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि उम्मीदवारों को जमीन के बदले नौकरी दी गई हो।
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दिल्ली की एक अदालत ने 7 अक्टूबर को जमीन के बदले नौकरी घोटाले में लालू यादव और उनके बेटों को एक-एक लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी थी। स्पेशल जज विशाल गोगने ने तीनों को जमानत देते हुए कहा कि मामले की जांच के दौरान उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया था। अदालत ने तीनों आरोपियों को अपने पासपोर्ट जमा करने का भी निर्देश दिया। लालू यादव की बेटी और पार्टी सांसद मीसा भारती भी अदालत में उनके साथ मौजूद थीं।
