बिहार विधानसभा चुनाव के पहले दिन नामांकन दाखिल करने वाले उम्मीदवारों में एक नाम ऐसा भी सामने आया जिसने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। यह नाम है लालू प्रसाद यादव का। लेकिन चौंकिए मत, यह राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव नहीं हैं, बल्कि उनके हमनाम हैं और उन्हें लगातार चुनाव लड़ने की अपनी आदत के लिए जाना जाता है। हालांकि उन्हें आज तक कामयाबी नहीं मिली है।

45 साल के लालू प्रसाद यादव सारण जिले के जादो रहीमपुर गांव के रहने वाले हैं। रहीमपुर गांव पटना से करीब 150 किलोमीटर दूर है। लालू प्रसाद यादव ने शुक्रवार को मरहौरा विधानसभा क्षेत्र से नामांकन पत्र दाखिल किया। यह विधानसभा क्षेत्र सारण लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है। लालू प्रसाद यादव 1977 में सारण सीट से पहली बार लोकसभा में पहुंचे थे। इसके बाद भी वह कई बार इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं।

अपने पैतृक गांव से फोन पर ‘पीटीआई भाषा’ को बातचीत में लालू ने बताया, ‘‘मैंने पहली बार 2001 में चुनाव लड़ा था, जब वार्ड पार्षद के पद के लिए मैदान में उतरा था।’’

लगातार चुनाव लड़ने के कारण लालू प्रसाद यादव को ‘धरती पकड़’ की उपाधि मिल चुकी है।

लालू ने कहा, ‘‘मैंने 2014 के लोकसभा चुनाव में राबड़ी देवी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। उस समय वह अपने पति की जगह मैदान में थीं, जिन्हें चारा घोटाला मामले में दोषसिद्धि के बाद चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहरा दिया गया था।’’ उस चुनाव में राबड़ी देवी भाजपा के राजीव प्रताप रूड़ी से हार गई थीं।

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दो बार राष्ट्रपति चुनाव में किया नामांकन

लालू गर्व से बताते हैं कि उन्होंने 2017 और 2022 के राष्ट्रपति चुनाव में भी नामांकन किया था लेकिन यह कहे जाने पर कि दोनों बार उनका नामांकन रद्द कर दिया गया था, वह मुस्कुरा देते हैं।

खेती-किसानी करने वाले इस शख्स के पास चुनावी रोमांच का शौक पूरा करने के लिए खूब वक्त है। शायद इसी वजह से उन्हें याद करने में कठिनाई होती है कि उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव और हाल में हुए विधानसभा उपचुनाव में किस सीट से पर्चा भरा था। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा ख्याल है कि लोकसभा में मैं महाराजगंज से उम्मीदवार था। विधानसभा उपचुनाव में या तो तरारी या रुपौली से लड़ा था।’’

लालू ने कहा, ‘‘मैं निर्दलीय उम्मीदवार नहीं हूं। कृपया मेरा हलफनामा देखिए। मैं जन संभावना पार्टी का उम्मीदवार हूं।’’

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