लखीमपुर हिंसा में मारे गए किसानों के लिए मंगलवार को अंतिम अरदास का आयोजन किया गया। इस अरदास में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी भी शामिल हुईं। राकेश टिकैत समेत कई किसान नेता सोमवार रात ही लखीमपुर पहुंच गए थे। राज्य सरकार ने किसानों के जुटान को देखते हुए यूपी के 20 जिलों में अलर्ट जारी कर दिया है।
लखीमपुर खीरी के तिकोनिया गांव में जहां हिंसा हुई थी, वहां से थोड़ी दूर पर एक खेत में अंतिम अरदास का कार्यक्रम किया गया। इस कार्यक्रम में कई राज्यों के किसान नेता और यूनियन नेता भाग लेने पहुंचे। संयुक्त किसान मोर्चा ने देश भर में आज प्रार्थना और श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन करने की अपील की है। इसके साथ ही रात आठ बजे घरों के बाहर पांच मोमबत्तियां जलाने का आग्रह भी किया है।
मंगलवार सुबह प्रियंका इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए लखनऊ से निकलीं थी, जिसके बाद अरदास कार्यक्रम में पहुंचने के बाद मंच के नीचे ही नजर आई। प्रियंका ने यहां किसानों और महिलाओं से बात भी की। किसान संगठनों ने पहले ही साफ कर दिया था कि नेताओं को मंच पर जगह नहीं मिलेगी। इसके बाद भी प्रियंका यहां पहुंची और अरदास में शामिल हुईं।
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इससे पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने प्रियंका गांधी के दौरे को लेकर जानकारी देते हुए कहा है कि प्रियंका गांधी लखीमपुर के शहीद किसानों की अंतिम अरदास में शामिल होने के लिए लखनऊ एयरपोर्ट से निकल चुकी हैं। इससे पहले प्रियंका गांधी ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के इस्तीफे की मांग करते हुए पीएम मोदी पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा- मंत्री का बेटा किसानों की हत्या के आरोप में गिरफ्तार, क्या अब भी मंत्री को अपने पद पर बने रहने का है अधिकार? निष्पक्ष जांच और न्याय के लिए केंद्रीय गृह मंत्री की बर्खास्तगी जरूरी है। मोदी जी अपने मंत्री को संरक्षण देना बंद करिए।
उधर लखनऊ में प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ एक पोस्टर भी लगा दिखा है। जिसमें प्रियंका-राहुल को वापस जाने के लिए कहा गया है। इसके अलावा राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी को बरेली एयरपोर्ट परही रोक लिया गया है। जयंत, अरदास कार्यक्रम में शामिल होने के लिए लखीमपुर जाने के लिए एयरपोर्ट पहुंचे थे।
बता दें कि लखीमपुर हिंसा में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा पर किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ाने का आरोप लगा है। इस घटना में चार किसानों की मौत हो गई, जिसके बाद भड़की हिंसा में तीन बीजेपी कार्यकर्ता और एक स्थानीय पत्रकार मारे गए। घटना के बाद सरकार और किसानों के बीच समझौता भी हो गया था, लेकिन अब किसान संगठन सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रहे हैं। किसानों की मांग है कि केंद्रीय मंत्री को बर्खास्त किया जाए, ताकि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो सके।