डीडीसीए में कथित अनियमितताओं का मामला सोमवार को लोकसभा में उठा और भाजपा सदस्य कीर्ति आजाद ने इस मामले में समयबद्ध एसआइटी जांच की मांग करके सत्तापक्ष को असहज स्थिति में डाल दिया। वहीं कांग्रेस ने वित्त मंत्री अरुण जेटली के इस्तीफे की मांग की। हालांकि जेटली ने भ्रष्टाचार के आरोपों को बेबुनियाद और पूरी तरह गलत बताते हुए खारिज किया। कीर्ति आजाद ने सत्ता पक्ष को असहज स्थिति में डालते हुए कहा कि जब ये अनियमितताएं हुर्इं, उस दौरान जेटली डीडीसीए के अध्यक्ष थे।
कीर्ति आजाद ने कहा कि विपक्ष को पूरे मामले की समयबद्ध एसआइटी जांच की मांग करनी चाहिए। सरकार की ओर से संसदीय कार्यमंत्री एम वेंकैया नायडू ने जेटली का बचाव करते हुए कहा कि जेटली निष्कलंक चरित्र, ईमानदार और सार्वजनिक जीवन में उच्च मानदंड का पालन करने वाले व्यक्ति हैं। जेटली के स्पष्टीकरण से असंतोष जताते हुए सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित कांग्रेस के सभी सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया।
कांग्रेस के वेणुगोपाल ने शून्यकाल में यह मामला उठाते हुए कहा कि जेटली जिस समय डीडीसीए के अध्यक्ष थे, उस समय इसमें अनियमितताओं की बहुत सी शिकायतें मिली हैं। खासकर दिल्ली के फिरोजशाह कोटला स्टेडियम के निर्माण को लेकर शिकायत है। उन्होंने कहा कि एसएफआइओ ने भी इस स्टेडियम के निर्माण में अनियमितताएं पाई हैं, जिसका शुरुआती बजट 24 करोड़ रुपए से बढ़कर 114 करोड़ रुपए हो गया था।
जेटली ने इसके जवाब में कहा कि पिछले कुछ दिनों से संसद के बाहर यह मामला उठ रहा है लेकिन जो आरोप लगाए गए हैं वे बेबुनियाद और पूरी तरह से गलत हैं। सत्तापक्ष के ‘चोर मचाए शोर’ के नारों के बीच वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि इसके निर्माण के लिए टेंडर जारी नहीं हुए और स्टैंडर्ड मानदंडों का पालन नहीं हुआ।
वेणुगोपाल ने आजाद का हवाला देते हुए कहा कि डीडीसीए में अनियमितताओं का हाल यह था कि 16000 रुपए प्रतिदिन में लैपटॉप किराए पर लिए गए, 3000 रुपए प्रतिदिन पर प्रिंटर और 5000 रुपए में ‘पूजा की थाली’ ली गई। उन्होंने कहा- वे (जेटली) भी घोटाले में शामिल हैं। हम जेपीसी जांच और जेटली के इस्तीफे की मांग करते हैं।
वेणुगोपाल ने कहा कि विपक्ष नहीं बल्कि सत्तापक्ष के ही वरिष्ठ सदस्य कीर्ति आजाद ने इन आरोपों को उजागर किया है। उन्होंने कहा कि स्टेडियम निर्माण के दौरान ऐसी 14 कंपनियों के लेनदेन के मामले आए हैं जिनका कोई अस्तित्व नहीं है और खुद कीर्ति आजाद ने भी कहा है कि चूंकि जेटली उस समय इसके अध्यक्ष थे और वे अनियमितताओं के बारे में जानते थे। कांग्रेस के सदस्यों के शोर-शराबे के बीच जेटली ने कहा कि वास्तविक तथ्य असहज होंगे लेकिन विपक्ष में उन्हें सुनने का माद्दा होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि डीडीसीए ने 114 करोड़ रुपए में 42000 की क्षमता वाला एक स्टेडियम बना दिया जबकि आज आरोप लगा रही यह पार्टी (कांग्रेस) जब सत्ता में थी तो जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के मरम्मत और जीर्णोद्धार में ही 900 करोड़ रुपए और ध्यानचंद स्टेडियम के नवीनीकरण में 600 करोड़ खर्च किए गए। जबकि हमने 114 करोड़ रुपए में एक नया स्टेडियम बना दिया और एसएफआइओ ने यह नहीं कहा कि यह खर्च गलत हुआ। कीर्ति आजाद ने हालांकि कहा कि एसएफआइओ ने केवल सिविल मामलों को देखा है, बाकी मामले नहीं देखे हैं।
शून्यकाल से पहले कांग्रेस के सदस्य आसन के समीप आकर ‘कीर्ति आजाद संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं’, ‘मोदी सरकार होश में आओ’, ‘मंत्री को बर्खास्त करो’ जैसे नारे लगा रहे थे। राज्यसभा में यह भी मुद्दा उठा और हंगामे के कारण तीन बार के स्थगन के बाद सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
लोकसभा में कीर्ति आजाद ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि फिरोजशाह कोटला स्टेडियम 114 करोड़ रुपए में बन गया, जबकि जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के जीर्णोद्धार में ही 900 करोड़ रुपए खर्च किए गए और जिन्होंने ऐसा किया, उनका हश्र हम आज देख रहे हैं। आजाद ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ रही है और इस मामले की भी सीबीआइ से जांच कराई जा रही है। इसी बीच हल्के से उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला उस समय का है जब जेटली डीडीसीए के अध्यक्ष थे।
जब आजाद इस विषय पर बोलने के लिए अध्यक्ष का ध्यान आकर्षित करने के लिए बार-बार हाथ खड़ा कर रहे थे तो भाजपा के कुछ सदस्यों को उन्हें सदन में इस मामले में कुछ नहीं कहने का इशारा करते हुए देखा गया। लेकिन उन्होंने अपनी बात रखी। आजाद ने कहा- विपक्ष को अगर मांग करनी है तो वह इस मामले की समयबद्ध एसआइटी जांच की मांग करे। उन्होंने कहा कि अगर डीडीसीए में सब कुछ ठीकठाक था तो सीबीआइ 23 अक्तूबर को क्रिकेट संस्था को नोटिस नहीं देती।
इस बीच केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने वित्त मंत्री का पुरजोर बचाव करते हुए कहा कि सार्वजनिक जीवन में जेटली निष्कलंक चरित्र, ईमानदारी और उच्च मानकों वाले व्यक्ति हैं। उन्होंने कहा कि कथित अनियमितताओं में जेटली की कोई भूमिका नहीं थी। सदन में विपक्ष के आरोपों के विरोध में कुछ केंद्रीय मंत्रियों को भी जेटली के बचाव में उतरते देखा गया जिनमें कलराज मिश्र, नरेंद्र सिंह तोमर, जेपी नड्डा, राजीव प्रताप रूडी और जयंत सिन्हा आदि थे। अध्यक्ष द्वारा वेणुगोपाल को इस विषय को उठाने की अनुमति देने पर रूडी ने कहा कि जो सदस्य सुबह से आसन के सामने आकर हंगामा कर रहे हों और आसन की बात नहीं मान रहे हों, उन्हें अपनी बात रखने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।