ओमप्रकाश ठाकुर

चुनावी साल में शांत प्रदेश हिमाचल की फिजाओं में अचानक खालिस्तान की आहट ने लोगों को बैचेन कर रखा है जबकि सियासी दलों ने अपने तरकश से राजनीति करने के लिए तीर निकाल लिए हैं। लेकिन यह तीर कथित खालिस्तानियों को भेदने के बजाय एक दूसरे सियासतदानों को भेदने के लिए काम में लाए जा रहे हैं।

बहरहाल विधानसभा के चुनावों के लिए चंद महीने बाकी रह गए हैं। ऐसे में सता पक्ष क्या… विपक्ष सभी को ऐसे मुद्दों की तलाश है जो जनता से न जुड़े होकर भावनात्मक रूप से आग लगाने में कारगर हों। लेकिन इस ठंडे प्रदेश की जनता ऐसी हर तरह की आग की आंच से नेताओं की सियासी मंशाओं को झुलसाती रही हैं।

पंजाब में आतंक चरम पर था तब भी कोशिशें हुई थीं, लेकिन वे परवान नहीं चढ़ सकीं। ऐसा पूर्व डीजीपी आइडी भंडारी भी मानते हैं कि जब पंजाब में खालिस्तानियों ने कहर ढा रखा था, तब हिमाचल के भीतर कोई बड़ी वारदात नहीं हुई थी। यहां पर उनका समर्थक भी कोई नहीं है।

वे बताते है कि उस समय आंतकी यहां जरूर शरण लेने आते थे व पंजाब व हिमाचल पुलिस उन्हें पकड़ लेती थी। पंजाब पुलिस उन्हें अपने साथ ले जाती थी। नालागढ़ , ऊना, पावंटा और कांगड़ा में ऐसे काफी मामले सामने आए थे लेकिन कोई वारदात उन्होंने अंजाम दी हो ऐसा उन्हें याद नहीं है। 1983 बैच के आइपीएस अधिकारी भंडारी कहते हैं कि ऐसा माहौल प्रदेश में कभी नहीं बना था। इसके पीछे कौन है व किसकी क्या मंशा है, इसकी जांच तो होनी ही चाहिए।

बहरहाल, जो भी लेकिन सियासी दलों ने एक दूसरे पर वार करने शुरू कर दिए हैं। धर्मशाला में विधानसभा भवन के गेट पर खालिस्तानी झंडे टांग देने के बाद जिस तरह से सियासी तूफान पैदा हुआ उसकी उम्मीद नहीं थी। इस मसले को सावधानी से निपटाया जाना चाहिए था व जांच एंजंसियों को चुपचाप इस पर अपना काम करते रहना चाहिए था।

लेकिन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बीते रोज खुद ही नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री को लेकर बयानबाजी कर दी । उन्होंने अपने मोबाइल पर एक तस्वीर पत्रकारों दिखाई व कहा कि इस तस्वीर में मुकेश अग्निहोत्री बीच में है व एक कोने पर जो शख्स है उसने खालिस्तानी टी शर्ट पहन रखी है। मुकेश ने भी पलटवार कर दिया कि जिस कार्यक्रम की यह तस्वीर है, उसमें जयराम सरकार में एक उपाध्यक्ष भी था। उसकी तस्वीर भी है। लेकिन मुख्यमंत्री को वह नजर नहीं आई।

साफ है नेताओं के लिए खालिस्तानी केंद्र बिंदु में नहीं है। इस तरह की सियासत को आगे बढ़ाने का काम सिख फार जस्टिस के कथित स्वयंभू सरगना 2020 में आंतकी घोषित गुरपतवंत सिंह पन्नू ने बखूबी कर दिया है। इसे पंजाब में जनता ही नहीं सरकार व बाकियों ने भी नकार दिया था। लेकिन प्रदेश में इसकी धमकियों को सरकार ने भी और विपक्ष ने भी तरजीह दी और एक हौवा खड़ा करने की कोशिश कर दी कि खालिस्तानी प्रदेश में न जाने क्या करने आ गए है।

पन्नू को सरकार व विपक्ष की प्रतिक्रियाओं से खाद पानी मिल गया और उसने अपने एजंडे को आगे बढ़ाने का काम शुरू कर दिया। 2020 में ही उसे केंद्र सरकार की ओर से आंतकी घोषित किया जा चुका है ऐसा पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने खुलासा किया है।

आप’ बनाम भाजपा-कांग्रेस

पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार को लेकर भी प्रदेश कांग्रेस और भाजपा राजनीति करने की फिराक में हैं। आम आदमी पार्टी ने हिमाचल में चुनाव लड़ने का एलान कर रखा है और कांग्रेस व भाजपा का पंजाब जैसा हाल न हो जाए यह डर तो सता रहा है। ऐसे में पंजाब की तरह ही खालिस्तानियों को लेकर आम आदमी पार्टी को भी कठघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन आम आदमी पार्टी इन दोनों से दो कदम आगे रहने में माहिर है और पार्टी के प्रदेश प्रभारी दुर्गेश पाठक कहते हैं कि खालिस्तानियों की हिमाचल में गतिविधियां या तो जयराम सरकार के निकम्मेपन का परिणाम है या फिर भाजपा इनसे मिली हुई है।

केंद्र में अमित शाह गृह मंत्री हैं और प्रदेश में जयराम ठाकुर के पास गृह विभाग है, ऐसे में आम आदमी पार्टी पर इल्जाम लगाना उसे बदनाम करने के अलावा कुछ नहीं है। अगर आाम आदमी पार्टी खालिस्तानी समर्थक होती तो खालिस्तानी इस तरह की तमाम हरकतें पंजाब में करते।

यही नहीं बीते रोज पन्नू की ओर से एक और दावा किया गया कि केजरीवाल की हिमाचल में हुई रैलियों में खालिस्तानी झंडे फहराए गए थे। साफ है इस तरह के इल्जामों के पीछे क्या मंशा है। लेकिन हिमाचल में खालिस्तान के दम पर बिछाई जा रही सियासत की यह बिसात कब उल्टी पड़ जाए, यह आने दिनों वाले में ही प्रत्यक्ष हो पाएगा।