Punjab News: अभिनेता और एक्टिविस्ट संदीप सिंह उर्फ ​​दीप सिद्धू का ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन विवादों में आ गया है। ये विवाद तब शुरू हुआ जब गुरुवार (29 सितंबर) को भिंडारवाला समर्थक अमृतपाल सिंह नाम के शख्स को इस संगठन की कमान सौंप दी गई। इस शख्स ने समुदाय के युवकों को पंथ और पंजाब को जगाने और उसकी आजादी के लिए लड़ने का आह्वान किया था। बता दें कि दीप सिद्धू का 7 महीने पहले एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया था। दीप सिद्धू लाल किले पर झंडा फहराने के कथित मामले के बाद सुर्खियों में आए थे।

पंजाब चुनाव से पहले पिछले साल सितंबर में चंडीगढ़ में ‘वारिस पंजाब डे’ लॉन्च करते हुए, दीप सिद्धू ने कहा था कि यह “पंजाब के अधिकारों और संस्कृति की रक्षा करने, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे सामाजिक मुद्दों को उठाने और तानाशाही के खिलाफ आवाज उठाने के लिए एक बनाया गया एक दिल्ली का संगठन था।” सिद्धू पर दिल्ली पुलिस ने पिछले साल गणतंत्र दिवस पर किसानों के विरोध मार्च के दौरान लाल किले पर हिंसा और सिख झंडा फहराने में कथित भूमिका के लिए मामला दर्ज किया था।

इस बीच, अभिनेता के परिवार ने अमृतपाल सिंह (29) के साथ किसी भी संबंध से इनकार किया, जो मारे गए आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले का अनुयायी होने का दावा करता है। साथ ही परिवार ने ये भी कहा कि वह “सिद्धू के नाम का दुरुपयोग कर रहा था” और “खालिस्तान के नाम पर युवाओं को बेवकूफ बना रहा था।” गुरुवार (29 सितंबर) को पैतृक गांव भिंडरावाले मोगा रोड में एक सभा को संबोधित करते हुए अमृतपाल सिंह को ‘वारिस पंजाब दे’ का मुखिया घोषित किया गया और ‘राज करेगा खालसा’ के नारों के बीच ‘दस्तारबंदी’ (पगड़ी बांधना) समारोह आयोजित किया गया। इस दौरान उन्होंने कहा कि वह स्पष्ट करना चाहते हैं कि वह मारे गए आतंकवादी की “नकल” करने की कोशिश नहीं कर रहे थे।

भिंडारवाला मेरी प्रेरणा हैंः अमृतपाल सिंह

अमृतपाल ने इस दौरान बताया, “भिंडरावाला मेरी प्रेरणा हैं। उनके बताए रास्ते पर चलूंगा। मैं उनके जैसा बनना चाहता हूं क्योंकि हर सिख यही चाहता है, लेकिन मैं उसकी नकल नहीं कर रहा हूं। मैं उनके पैरों की धूल के बराबर भी नहीं हूं।” अमृतपाल सिंह जो दुबई में रहता था और सिद्धू की मौत के कई महीनों बाद पंजाब लौटा था। अब वह भिंडरांवाले की तरह कपड़े पहनता है और हथियारबंद लोग उसका साथ देते हैं। अमृतपाल ने भिंडरावाले की स्मृति में बने गुरुद्वारा संत खालसा के पास एक मंच से सभा को संबोधित किया। इस दौरान अमृतपाल ने कहा कि सिद्धू एक “कोमी शहीद” (सिख समुदाय के शहीद) थे। “सिद्धू जैसे लोग, जो गुरु के कर्तव्य पर हैं, दुर्घटनाओं में कभी नहीं मर सकते। हम जानते हैं कि उसकी मृत्यु कैसे हुई, किसने उन्हें मार डाला।”

युवाओं को विदेश भागने की बजाए पंजाब में रहना चाहिए

अमृतपाल सिंह ने कहा, “हम सब अभी भी गुलाम हैं..हमें आजादी के लिए लड़ना होगा.. हमारा पानी लूटा जा रहा है, हमारे गुरु का अपमान किया जा रहा है…पंजाब के पूरे युवाओं को पंथ के लिए अपनी जान देने के लिए तैयार रहना चाहिए।” उन्होंने युवाओं से अपने गांवों को नशीली दवाओं के खतरे से बचाने के लिए कहा, उन्होंने कहा कि आईईएलटीएस पास करने के बाद विदेश भागने के बजाय, उन्हें पंजाब में रहना चाहिए और “आजादी की लड़ाई” लड़नी चाहिए। अमृतपाल ने कहा कि बेअदबी करने वालों को न तो कोर्ट भेजा जाएगा और न ही पुलिस के हवाले किया जाएगा. “ओहड़ा सोडा लगुगा (हम उन्हें दंडित करेंगे)। जो सिख नशे के आदी हो गए हैं, उन्हें फिर से गुरु का अनुयायी बनाया जाएगा और उन्हें शास्त्र विद्या दी जाएगी।”

अमृतपाल को नहीं बनाया ‘वारिस पंजाब दे’ का मुखियाः मंदीप

इस बीच, लुधियाना के एक वकील और दीप सिद्धू के भाई मंदीप सिंह सिद्धू ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उनके परिवार ने कभी भी अमृतपाल को ‘वारिस पंजाब दे’ का मुखिया नहीं बनाया। मंदीप ने बताया, “हम उससे पहले कभी नहीं मिले। दीप भी उनसे कभी नहीं मिले। वह कुछ देर फोन पर दीप के संपर्क में रहा लेकिन बाद में दीप ने उसे ब्लॉक कर दिया था। हमें नहीं पता कि उसने खुद को मेरे भाई के संगठन का मुखिया कैसे घोषित कर दिया। वह असामाजिक गतिविधियों को प्रचारित करने के लिए हमारे नाम का दुरुपयोग कर रहा है। उसने किसी तरह मेरे भाई के सोशल मीडिया अकाउंट्स तक पहुंच बनाई और उन पर पोस्ट करना शुरू कर दिया।” मंदीप ने दीप के साथ केंद्र के खिलाफ किसान विरोध प्रदर्शन में सक्रिय रूप से भाग लिया था।

बॉम्बे हाईकोर्ट में वकील थे दीप सिद्धू

यह बताते हुए कि सिद्धू मुंबई उच्च न्यायालय में एक वकील भी थे मंदीप ने कहा, “मेरे भाई ने इस संगठन को पंजाब के सामाजिक मुद्दों को उठाने और जरूरतमंदों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए बनाया था, खालिस्तान का प्रचार करने के लिए नहीं। अमृतपाल पंजाब में अशांति फैलाने की बात कर रहे हैं। वह मेरे भाई और खालिस्तान का नाम लेकर लोगों को बेवकूफ बना रहा है। मेरा भाई अलगाववादी नहीं था।” इससे पहले, भिंडरावाले के भतीजे जसवीर सिंह रोडे सहित परिवार के सदस्य गुरुवार के कार्यक्रम में शामिल हुए, जबकि उनके बड़े भाई हरचरण सिंह रोडे ने इसे अमेरिका से लाइव देखा।