केरल सरकार ने तिरूवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा अडाणी एंटरप्राइजेज को लीज पर देने के केन्द्र के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। केरल की वाम मोर्चा सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील दायर की है।
हाईकोर्ट ने 19 अक्टूबर को राज्य सरकार की याचिका खारिज करते हुये कहा था कि यह केन्द्र की निजीकरण की नीति के खिलाफ है और इसलिए इसमें मेरिट नहीं है। हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध करते हुये राज्य सरकार ने अधिवक्ता सी के ससी के माध्यम से दायर अपील में कहा है कि उसने एक विशेष निजी प्रतिष्ठान अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड को इस हवाई अड्डे का संचालन, प्रबंधन और इसका विकास कार्य सौंपने के भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की मनमानी और गैरकानूनी कार्रवाई को चुनौती दी है।
केरल सरकार ने सर्वदलीय बैठक के बाद हाईकोर्ट में इस संबंध में याचिका दायर की थी। इस बैठक में हवाई अड्डे को अडाणी एंटरप्राइजेज को लीज पर सौंपने का केन्द्रीय मंत्रिमंडल का फैसला वापस लेने की मांग की गयी थी। केन्द्र का कहना था कि इस हवाई अड्डे के लिये पारदर्शी तरीके से आयोजित बोली प्रक्रिया में राज्य सरकार बाजी नहीं मार सकी।
फरवरी, 2019 में आयोजित प्रतिस्पर्धात्मक बोली प्रक्रिया के बाद अडाणी एंटरप्राइजेज को पीपीपी माडल के माध्यम से छह हवाई अड्डों-लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर, मेंगलुरू, तिरूवनंतपुरम और गुवाहाटी- का प्रबंधन मिल गया था। केरल राज्य औद्योगिक विकास कार्पोरेशन ने इस बोली प्रक्रिया में हिस्सा लिया था।
मालूम हो कि केरल के त्रिवेंद्रम इंटरनेशनल एयरपोर्ट का ठेका अडानी समूह को दिए जाने पर राजनीतिक विवाद बढ़ गया था। केरल के सीएम पिनराई विजयन ने इस संबंध में पीएम नरेंद्र मोदी को लेटर भी लिखा था। इसके बाद सूबे की विधानसभा ने इस फैसले के खिलाफ प्रस्ताव भी पारित किया था।
विधानसभा ने एयरपोर्ट को अडानी समूह को दिए जाने के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया था। चीफ मिनिस्टर पिनराई विजयन का कहना था कि केंद्र सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
(एजेंसी इनपुट के साथ)