विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने अरविंद केजरीवाल सरकार के बेहिसाब सरकारी विज्ञापनों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि जनता को गुमराह किया जा रहा है। वास्तविकता यह है कि 16 लाख बच्चों को निजी स्कूलों ने हाई कोर्ट और दिल्ली सरकार के आदेश के बाद भी मुफ्त वर्दी और पठन-पाठन सामग्री नहीं दी है। इस कारण ये बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित किए जा रहे हैं। दिल्ली के छह लाख से अधिक किसानों को उनकी बर्बाद हुई फसल का अब तक कोई मुआवजा राज्य सरकार ने नहीं दिया है। विज्ञापन में कहा गया है कि दिल्ली के किसानों को देश में सबसे अधिक मुआवजा दिया गया है।
उन्होंने बताया कि दिल्ली के सभी विकास कार्य या तो अधूरे हैं या रुके हुए हैं क्योंकि सरकार ने विकास कार्य करने वाले ठेकेदारों के करोड़ों रुपए के बिलों का भुगतान नहीं किया है। इस कारण ठेकेदारों ने कार्य करने से मना कर दिया है। सरकारी आंकड़े खुद गवाह हैं कि विकास कार्यों के लिए पिछले साल बजट में आबंटित धन का सिर्फ 35 फीसद हिस्सा ही केजरीवाल सरकार खर्च कर पाई है। दिल्ली में वैट के नाम पर फिर से इंस्पेक्टर राज कायम हो गया है। व्यापारियों का अधिकारीगण खुलकर उत्पीड़न कर रहे हैं।
दिल्ली की सभी 16 मंडियों के थोक व्यापारियों से आम आदमी पार्टी के नाम पर सरकार और उसके कार्यकर्ता करोड़ों रुपए की जबरिया वसूली कर रहे हैं। हजारों अतिथि शिक्षकों की सेवाएं खत्म कर दी गई हैं। दिल्ली परिवहन निगम के संविदा पर रखे गये हजारों कमर्चारियों ने उन्हें नियमित करने की मांग को लेकर पिछले दिनों हड़ताल की थी। उनकी मांगें अभीतक मानी नहीं गई हैं। उन्होंने फिर से हड़ताल पर जाने की धमकी दी है।
दिल्ली के उद्यमी और व्यापारी अपना कारोबार पड़ोसी राज्यों को ले जाने की धमकी दे रहे हैं। उनका कहना है कि दिल्ली सरकार के अधिकारी व्यापारियों और उद्यमियों का उत्पीड़न कर रहे हैं। सरकार ने पहले से चल रहे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को ही आम आदमी क्लीनिक में बदल कर वाहवाही लूटने का प्रयास किया है। हकीकत यह है कि दिल्ली के सभी बड़े अस्पतालों में मरीजों को चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।