कर्नाटक के पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक सीएन अश्वथ नारायण के खिलाफ मैसूर के देवराजा पुलिस स्टेशन में उनके बयान के लिए FIR दर्ज की गई है जिसमें उन्होंने टीपू सुल्तान की तरह सिद्धारमैया को मारने की बात की थी। कर्नाटक कांग्रेस के नेता अश्वथ नारायण की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर बात करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे ने कहा कि बीजेपी ने अपने जीभ और दिमाग के बीच का संपर्क खो दिया है।

कर्नाटक में लोगों को अपनी बात को लेकर सावधान रहने की जरूरत- प्रियांक खड़गे

कर्नाटक कांग्रेस के कैबिनेट मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा कि बीजेपी ने अपने जीभ और दिमाग के बीच का कनेक्शन खो दिया है। वे बोलने से पहले नहीं सोचते और ये उनकी आदत हो गई है, उन्हें लगता है कि वे इससे बच सकते हैं।

कांग्रेस नेता ने आगे कहा, “कर्नाटक में अब ऐसा नहीं होने वाला। लोगों को अपनी बात को लेकर बहुत सावधान रहने की जरूरत है। जब तक वे अपने अधिकारों के साथ ठीक हैं, हमें कोई समस्या नहीं है लेकिन आप मुख्यमंत्री के कार्यालय या स्वयं मुख्यमंत्री को नीचा नहीं दिखा सकते हैं और इससे बच सकते हैं।”

कानून-व्यवस्था के लिए खतरा बनने वाले संगठन को बैन करने में संकोच नहीं

वहीं, कर्नाटक में PFI और बजरंग दल पर प्रतिबंध पर कांग्रेस के रुख के बारे में पूछे जाने पर कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा, “कोई भी संगठन, धार्मिक, राजनीतिक या सामाजिक जो असंतोष और वैमनस्य के बीज बोने जा रहा है कर्नाटक में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम कानूनी और संवैधानिक रूप से उनसे निपटेंगे चाहे वह बजरंग दल, पीएफआई या कोई अन्य संगठन हो। हम उन्हें प्रतिबंधित करने में संकोच नहीं करेंगे अगर वे कर्नाटक में कानून और व्यवस्था के लिए खतरा बनने जा रहे हैं।”

हिजाब बैन को वापस लेने की मांग पर क्या बोले प्रियांक खड़गे

एमनेस्टी इंडिया द्वारा कर्नाटक में हिजाब प्रतिबंध को वापस लेने की मांग पर प्रियांक खड़गे ने कहा, “हम अपने रुख पर बहुत स्पष्ट हैं, हम ऐसे किसी भी कार्यकारी आदेश की समीक्षा करेंगे, हम किसी भी विधेयक की समीक्षा करेंगे जो भारत की आर्थिक नीतियों के प्रतिकूल है।”

उन्होंने आगे कहा, “कर्नाटक में कोई भी विधेयक जो राज्य की खराब छवि लाता है, कोई भी विधेयक जो आर्थिक गतिविधियों के लिए उपयोग नहीं किया जाता है, कोई भी विधेयक जो रोजगार पैदा नहीं करता है उसे हटाया जा सकता है। कोई भी विधेयक जो किसी व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन करता है, कोई भी विधेयक जो असंवैधानिक है उसकी समीक्षा की जाएगी और अगर जरूरत पड़ी तो खारिज कर दिया जाएगा।”