बेंगलूरु शहर के स्थानीय निकाय BBMP में अब 45 नए वार्ड जुड़ गए हैं। अगले चुनाव में शहर के मतदाता 198 के बजाय 243 वार्ड पार्षदों का चयन करेंगे। शहरी निकाय अधिनियम में किए गए संशोधन के बाद बेंगलूरु में वार्डों की अधिकतम संख्या 200 से बढ़ाकर 243 हो गई है। हालांकि विपक्ष को बीजेपी सरकार का ये रवैया रास नहीं आ रहा है। पूर्व सीएम एचडी कुमार स्वामी का कहना है कि संघ और बीजेपी के दफ्तर में ये सारी कवायद की गई। अब सरकार वार्डों के नाम भी पंडित दीन दयाल उपाध्याय जैसे लोगों के नाम पर रख रही है। ये सरासर गलत है।

विपक्ष का कहना है कि बीजेपी विधायकों के इलाके में वार्डों की संख्या बढ़ाई गई है। जबकि विपक्षी दलों के विधायकों के इलाके में वार्ड कम किए गए हैं। यहां बीजेपी के 12 विधायक हैं जबकि कांग्रेस के 15 और 1 विधायक जद (एस) का है। विपक्ष का कहना है कि बीजेपी चुनाव को टाल रही है, क्योंकि उसे हार का डर है।

शहर की बढ़ती आबादी के हिसाब से वार्डों का पुनर्गठन किया गया है। औसतन 35 हजार की आबादी पर वार्ड गठित किया गया है। हालांकि इस हिसाब से शहर की आबादी को विभाजित करने पर वार्डों की संख्या 241.5 या 242 होती है लेकिन समिति ने वार्डों की संख्या विषम रखने का निर्णय लिया ताकि बहुमत का फैसला आसानी से हो सके। विधि मंत्री 240 वार्ड के पक्ष में थे जबकि बाकी सदस्य 250 वार्ड चाहते थे। आखिर में मुख्यमंत्री ने 243 वार्ड गठित करने का निर्णय लिया।

गौरतलब है कि बेंगलुरु पालिका के निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल दो साल पहले ही खत्म हो चुका है लेकिन पहले कोरोना के कारण चुनाव नहीं हुए और फिर वार्डों की संख्या बढ़ाने के चलते चुनाव टले। पालिका पुनर्गठन विधेयक मार्च 2020 में ही विधानसभा में पेश हो गया था, जिसे संयुक्त प्रवर समिति को सौंपा गया था। समिति की सिफारिश के आधार पर बीजेपी की सरकार ने वार्डों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रस्ताव पेश किया था।

बीबीएमपी परिषद का कार्यकाल सितंबर 2020 में समाप्त हो गया था। तब से प्रशासक नियुक्त किया गया है और अधिकारियों ने बीबीएमपी की बागडोर संभाली है। बीबीएमपी चुनाव जल्द से जल्द कराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई थी। कोर्ट ने तल्ख लहजे में टिप्पणी भी करते हुए कहा था कि वार्डबंदी की आड़ में चुनाव नहीं टाले जा सकते।