कर्नाटक के मंत्री वी सोमन्ना इन दिनों सुर्खियों में बने हुए थे। रविवार को उनका एक वीडियो सामने आया था जिसमें उन्हें एक दिन पहले चामराजनगर जिले में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में एक महिला को थप्पड़ मारते हुए दिखाया गया था। विपक्ष के विरोध के बीच सोमन्ना ने माफी जारी की, लेकिन महिला को थप्पड़ मारने से इनकार किया। महिला ने भी बाद में दावा किया कि वीडियो से छेड़छाड़ की गयी थी।

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब 72 वर्षीय भाजपा नेता विवादों में आए हैं। सोमन्ना के कुछ कैबिनेट सहयोगियों ने उन्हें छोटी-छोटी बातों पर नाराजगी व्यक्त करने वाला शख्स बताया। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “सोमन्ना को लगता है कि वह मौजूदा मंत्रियों में वरिष्ठ नेता हैं और वह एक अच्छा पोर्टफोलियो चाहते हैं।”

2020 में एक कैबिनेट बैठक में, सोमन्ना की कानून और संसदीय मामलों के मंत्री जेसी मधुस्वामी के साथ बेंगलुरु में शहरी विकास को लेकर बहस हो गई थी। उस समय चर्चा थी कि सोमन्ना की निगाहें बेंगलुरु शहरी विकास मंत्रालय के पोर्टफोलियो पर है। सोमन्ना और मधुस्वामी के बीच मतभेद तब भी जारी रहे जब कैबिनेट में फेरबदल किया गया और अगस्त 2020 में बोम्मई सीएम बने।

नाम के साथ जुड़े हैं कई विवाद: 2019 में कन्नड़ रैपर चंदन शेट्टी द्वारा आधिकारिक युवा दशहरा कार्यक्रम के दौरान रियलिटी टीवी स्टार निवेदिता गौड़ा को प्रपोज करने के बाद सोमन्ना को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ा था। वी सोमन्ना पर 2013 के चुनावी हलफनामे में गलत सूचना देने का भी मामला है। हालांकि लोकायुक्त अदालत ने इस मार्च में मामले को बंद करने की सिफारिश करते हुए एक बी रिपोर्ट दायर की थी, लेकिन राज्य में निर्वाचित सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों से निपटने वाली एक विशेष अदालत ने रिपोर्ट को खारिज करते हुए जांच के लिए कहा था।

1980 में शुरू हुई राजनीतिक यात्रा: सोमन्ना रामनगर जिले के कनकपुरा तालुका के रहने वाले हैं और किसानों के परिवार से ताल्लुक रखते हैं। राजनीति में आने से पहले, 72 वर्षीय बीजेपी नेता ने बेंगलुरु के केजी रोड पर जनता बाजार में काम किया था। उनकी राजनीतिक यात्रा 1980 में शुरू हुई जब वे उस समय बेंगलुरु नगर निगम में नगरसेवक बने। बाद में वह एचडी देवेगौड़ा की समाजवादी जनता पार्टी में शामिल हो गए।

1999 का चुनाव निर्दलीय लड़ा: सोमन्ना एक लिंगायत हैं। 1989 के विधानसभा चुनावों में वह बेंगलुरु के बिन्नीपेट निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के नज़ीर अहमद से हार गए। 1994 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने जनता दल के टिकट पर जीत हासिल की और देवेगौड़ा के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में बेंगलुरु विकास मंत्री बने। जनता दल के साथ मतभेदों के चलते उन्होंने 1999 का चुनाव बिन्नीपेट से निर्दलीय के रूप में लड़ा। सोमन्ना अपनी सीट बचाने में सफल रहे और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए। वह 2008 में ‘ऑपरेशन लोटस’ के दौरान भाजपा में शामिल हो गए।

(Story By- Kiran Parashar)