गर्मी की शुरुआत के पहले ही कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु पीने के पानी की किल्लत से जूझ रही है। लाखों लोग यहां पानी की कमी से परेशान हैं। कर्नाटक के लोग पानी के लिए निजी टैंकरों पर निर्भर हैं लेकिन पानी की कमी को ये भी पूरा नहीं कर पा रहे हैं। सरकार की ओर से लोगों को समस्या से निजात दिलाने के तमाम प्रयास किए जा रहे हैं।

शहर के कई इलाकों में जलापूर्ति ठप्प है। ऐसे में लोगों को निजी टैंकरों का सहारा लेना पड़ रहा है। एक अनुमान के मुताबिक वर्तमान में शहर की तकरीबन 60 फीसदी आबादी इन्हीं टैंकरों के सहारे पानी की कमी को पूरा कर रही है।

मुख्यमंत्री आवास में भी पानी की किल्लत

इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री आवास में भी पानी की किल्लत बताई जा रही है। मंगलवार को मुख्यमंत्री आवास में पानी के टैंकर आते-जाते देखे गए.बेंगलुरु में एक हाउसिंग सोसाइटी में गंभीर जल संकट के चलते पीने के पानी के दुरुपयोग पर निवासियों पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाने का नोटिस जारी किया गया। ऐसे ही नोटिस कई और सोसाइटियों में जारी किए जा रहे हैं। साथ ही स्थिति पर नजर रखने के लिए एक विशेष सुरक्षाकर्मी भी तैनात करने का फैसला किया गया है।

क्या है बेंगलुरु में पानी की किल्लत की वजह?

    जानकारों का कहना है कि इस बार बेंगलुरु में सूखा पड़ने की वजह से जल संकट गहरा गया है। कर्नाटक में बारिश सामान्य से कम दर्ज की गई है। ऐसे में कई बोरवेल सूख गए हैं और कई जगहों पर भूमिगत जल स्तर काफी कम हो गया है। शहर में पेड़ कम हो जाने की वजह से अब पहले की तरह भूमिगत जल नहीं बचा है। इसके अलावा टैंकर माफिया को भी इस जल संकट के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। लोगों का कहना है कि जल माफिया लगातार पानी पंप किया करते हैं जिसकी वजह से समस्या खड़ी हो रही है।

    बेंगलुरु की आबादी भी इस समय 1 करोड़ के करीब पहुंच गई है। तेजी से बढ़ती आबादी की वजह से पानी की जरूरत बढ़ी है। बताया जा रहा है कि जहां बेंगलुरु निकाय जलापूर्ति नहीं कर पाता है वहां संकट ज्यादा गंभीर है।

    जल संकट से निपटने के लिए क्या प्रयास कर रही है सरकार?

    कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने लोगों को पानी का दुरुपयोग रोकने की सलाह दी है। इसके अलावा बेंगलुरु शहर के सभी बोरवेल सरकार अपने कब्जे में ले रही है। साथ ही सरकार प्राइवेट पानी के टैंकरों को भी लेकर जल संकट कम करने का प्रयास कर रही है। डीके शिवकुमार ने कहा कि इस जल संकट को देखते हुए एक वॉर रूम बनाया गया है। इसमें वरिष्ठ अधिकारियों को तैनात किया गया है जोकि व्यवस्था की निगरानी करेंगे।

    डिप्टी सीएम ने कहा कि इस जल संकट को कम करने के लिए शहर के बोरवेल कब्जे में ले लिए गए हैं। इसके अलावा निजी टैंकरों के मालिकों को चेतावनी दी गई है कि अगर वे 7 तारीख से पहले अपना रजिस्ट्रेशन नहीं कराएंगे तो उनके टैंकर को सीज कर दिया जाएगा। बता दें कि बेंगलुरु में करीब 3500 वॉटर टैंकर हैं जिनमें से 10 फीसदी ही रजिस्टर्ड हैं। प्राइवेट टैंकर पानी के लिए 500 से 2000 रुपये तक चार्ज करते हैं। कर्नाटक सरकार का कहना है कि कावेरी नदी पर बांध बनाया जाएगा और इसके बाद जल संकट से निपटा जा सकता है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि यह बांध कब बनेगा। कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी नदी को लेकर विवाद अभी भी जारी है।

    जल संकट के प्रभाव

    पानी की किल्लत की वजह से शहर के कई इलाकों में पानी की आपूर्ति में कटौती की गई है। इसके साथ ही पानी की कीमतों में भी वृद्धि हुई है। पानी की कमी के कारण पानी की कीमतों में वृद्धि हुई है।