मध्यप्रदेश में भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय की भुट्टा पार्टी के दौरान राजनीतिक प्रतिद्वंदी सीएम शिवराज सिंह चौहान के साथ दोस्ती के चर्चे खूब हो रहे है। इस दोस्ती से मध्यप्रदेश भाजपा में बदलाव के संकेत माने जा रहे हैं।

बंगाल में बीजेपी की हार के बाद से कैलाश विजयवर्गीय को अभी पार्टी ने कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी है। ऐसे में विधानसभा परिसर में कैलाश का भुट्टा पार्टी और शिवराज सिंह चौहान के साथ दोस्ती का गाना कुछ और ही कहानी बयां कर रहा है। इस पार्टी में शिवराज सिंह के साथ कैलाश विजयवर्गीय सुपरहिट फिल्म ‘शोले’ का गाना ‘ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे…’ गाते हुए दिखाई दिए।

इस पार्टी से पहले बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय कई मंत्रियों, विधायकों और पूर्व मंत्री से भी मुलाकात की थी। कैलाश विजयवर्गीय जिन नेताओं से भी मिल वो शिवराज विरोधी खेमे के माने जाते रहे हैं। जिसके बाद ये अटकलें लगाई जा रही थी कि कैलाश, प्रदेश में कुछ करने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि विजयवर्गीय ने इन बातों को सिरे से खारिज कर दिया था।

इसके बाद भुट्टा पार्टी में जब कैलाश और शिवराज शोले के गाने पर गुनगुनाते देखे गए तो परिवर्तन की कहानी थोड़ी घूमती दिखा। दोनों राजनीतिक प्रतिद्वंदियों के बीच ये दोस्ती प्रदेश बीजेपी ईकाई में अब एक नए दबदबे की शुरूआत की कहानी बयां कर रही है। शिवराज और कैलाश दोनों ने 90 के दशक में अपनी राजनीतिक पारी की शुरूआत की थी, और दोनों राजनीतिक प्रतिद्वंदी के तौर पर जाने जाते हैं।

अमित शाह के आदमी माने जाने वाले विजयवर्गीय ने चौहान के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान कई विभागों के मंत्री भी रहे। चौहान के दूसरे कार्यकाल के दौरान जैसे ही दोनों नेताओं के बीच दरार बढ़ी, विजयवर्गीय को केंद्र में बुलाया लिया गया और हरियाणा का प्रभारी बनाया दिया गया। बाद में उन्हें पश्चिम बंगाल का प्रभारी बनाया गया था, लेकिन अब बंगाल में हार के बाद एमपी में उनकी वापसी ने राज्य की राजनीति में फेरबदल की बातचीत के लिए मंच तैयार कर दिया है।

लोगों का मानना है कि दोनों नेताओं द्वारा गाना गाया जाना, विजयवर्गीय का विवाद खत्म करने का तरीका है। साथ ही एक बीजेपी नेता ने कहा- “राज्य में अपनी उपस्थिति को फिर से सही लोगों द्वारा देखे जाने का यह उनका तरीका था।”

भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि दोनों नेताओं ने एक लंबा सफर तय किया है, एबीवीपी में छात्र नेताओं के रूप में, युवा मोर्चा में… वे पारिवारिक संबंध भी साझा करते हैं और अक्सर बैठकों में एक साथ गाते थे। यह एक हल्का क्षण था।”

एक अन्य नेता ने कहा कि विजयवर्गीय के पास वर्तमान में कई कार्य नहीं हैं, उनके पास प्रासंगिक बने रहने और सुर्खियों में रहने के अपने तरीके हैं। वहीं राज्य के कुछ भाजपा नेताओं का मामना है कि यह मध्यप्रदेश की आंतरिक राजनीति में एक नया गठबंधन हो सकता है।

ज्योतिरादित्य सिंधया के बीजेपी में आने के बाद से शिवराज थोड़े कमजोर पड़ते दिख रहे हैं, पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के रूप में वी डी शर्मा अपना दबदबा कायम कर रहे हैं। ऐसे में कैलाश विजयवर्गीय और शिवराज सिंह चौहान की नई दोस्ती प्रदेश भाजपा में एक नया समीकरण बना सकती है।