सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम जज न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर को गुरुवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश के 43वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई। न्यायमूर्ति ठाकुर ने बीसीसीआइ में सुधार और सारदा घोटाले सहित अनेक महत्त्वपूर्ण फैसले सुनाए हैं। चार जनवरी 1952 को जन्मे न्यायमूर्ति ठाकुर 13 महीने तक देश के मुख्य न्यायाधीश रहेंगे। 65 वर्ष के होने पर वे चार जनवरी, 2017 को सेवानिवृत्त होंगे। न्यायमूर्ति ठाकुर ने न्यायमूर्ति एचएल दत्तू से गुरुवार को पदभार ग्रहण किया। जो बुधवार को सेवानिवृत्त हो गए।

इंडियन प्रीमियर लीग में सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग के आरोपों के मद्देनजर देश में क्रिकेट को नियंत्रित करने वाली संस्था भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड में सुधार के बारे में दिए गए फैसले से 63 वर्षीय न्यायमूर्ति ठाकुर सुर्खियों में आए। न्यायमूर्ति ठाकुर की अध्यक्षता वाले पीठ ने ही सारदा घोटाले के नाम से चर्चित पूर्वी भारत में करोड़ों रुपए के चिट फंड घोटाले की सीबीआइ जांच का भी आदेश दिया था। राष्ट्रपति भवन के दरबार कक्ष में आयोजित संक्षिप्त समारोह में न्यायमूर्ति ठाकुर ने मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ ली। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी व कई पूर्व मुख्य न्यायाधीश भी उपस्थित थे।

इस समारोह में न्यायमूर्ति ठाकुर की मां सरस्वती ठाकुर और उनके परिवार के अन्य सदस्य भी मौजूद थे। समारोह में कैबिनेट मंत्री राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, डीवी सदानंद गौडा, हर्षवर्धन, स्मृति ईरानी और भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी भी थे। इनके अलावा, पूर्व मुख्य न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति एचएल दत्तू, न्यायमूर्ति केजी बालाकृष्णन, न्यायमूर्ति एसएच कपाड़िया व न्यायमूर्ति राजेन्द्र मल लोढा और विभिन्न उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के साथ ही विधिवेत्ता सोली सोराबजी और अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी भी इस समारोह में शामिल हुए। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी समारोह में मौजूद थे।

जम्मू कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री देवी दास ठाकुर के पुत्र न्यायमूर्ति ठाकुर का अक्तूबर 1972 में बतौर वकील पंजीकरण हुआ और उन्होंने अपने पिता के साथ वकालत शुरू की। न्यायमूर्ति ठाकुर को 1990 में वरिष्ठ वकील नामित किया गया और 16 फरवरी 1994 को उन्हें जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट में अतिरिक्त जज नियुक्त किया गया। जहां से मार्च 1994 में कर्नाटक हाई कोर्ट में उनका तबादला हो गया।

न्यायमूर्ति ठाकुर को सितंबर 1995 में स्थाई जज बनाया गया और फिर जुलाई 2004 में उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट स्थानांतरित कर दिया गया था। न्यायमूर्ति ठाकुर नौ अप्रैल 2008 को दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बने और 11 अगस्त 2008 को उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पदभार ग्रहण किया। न्यायमूर्ति ठाकुर को बाद में पदोन्नति देकर सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। जहां उन्होंने 17 नवंबर, 2009 को अपना पदभार ग्रहण किया। शपथ ग्रहण समारोह के बाद न्यायमूर्ति ठाकुर ने संवाददाताओं के सवालों का जवाब देने से इनकार करते हुए कहा कि यह उचित मौका नहीं है और वे बाद में मीडिया से रूबरू होंगे।