कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस अभिजीत गांगुली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। अभिजीत गांगुली 7 मार्च को बीजेपी में शामिल होंगे। अभिजीत गांगुली ने कहा कि भाजपा ही टीएमसी के खिलाफ लड़ सकती है। पार्टी में अपनी भूमिका को लेकर अभिजीत गांगुली ने कहा कि यह आलाकमान तय करेगा कि मैं किस सीट से चुनाव लड़ूंगा।

अभिजीत गांगुली कई बार लगा चुके हैं ममता सरकार को फटकार

पिछले दो सालों में जस्टिस अभिजीत गांगुली को अकसर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस और उसके शासन की आलोचना करते देखा गया है। कुछ रिपोर्ट्स से पता चलता है कि जस्टिस गांगुली भाजपा के टिकट पर तमलुक लोकसभा सीट क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में तमलुक सीट पर तृणमूल के दिब्येंदु अधिकारी ने जीत हासिल की थी।

तमलुक सीट तृणमूल कांग्रेस का गढ़ रही है। पार्टी ने 2009 के चुनाव के बाद से ही इसपर जीत दर्ज की है। के रूप में देखा जाता था, जब तक कि वह भाजपा में शामिल नहीं हो गए। जस्टिस गांगुली ने कहा, “सत्तारूढ़ दल के तानों के कारण मुझे यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। उनके तानों और बयानों ने मुझे यह कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। सत्ता पक्ष ने कई बार मेरा अपमान किया। उनके प्रवक्ताओं ने मुझ पर असंसदीय शब्दों का प्रयोग किया। मुझे लगता है कि उन्हें अपनी शिक्षा को लेकर समस्या है।”

भूमि राजस्व अधिकारी के रूप में शुरू किया था करियर

जस्टिस गांगुली का जन्म 19 अगस्त 1962 को हुआ था। कलकत्ता विश्वविद्यालय के हाजरा लॉ कॉलेज से ग्रेजुएट अभिजीत ने अपना करियर पश्चिम बंगाल सिविल सेवा के ग्रेड ए अधिकारी के रूप में शुरू किया। एक भूमि राजस्व अधिकारी के रूप में उन्होंने स्थानीय भ्रष्टाचार पर कार्रवाई की, तो उन्हें मौत की धमकियां मिलने लगी। इसके बाद उन्हें इस्तीफा भी देना पड़ा। फिर वो वापस कोलकाता चले गए। इसके बाद उन्होंने अपनी कानूनी प्रैक्टिस शुरू की और कई बीमा कंपनियों और बीमा नियामक के लिए पैनल वकील के रूप में कार्य करते रहे।

CJI भी जता चुके हैं नाराजगी

2022 में जस्टिस अभिजीत गांगुली ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती में कथित अनियमितताओं की जांच करने का निर्देश दिया था। पिछले साल ही जस्टिस गांगुली को शिक्षकों की भर्ती घोटाले से संबंधित लंबित मामले में एक समाचार चैनल को इंटरव्यू देने के बाद सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी का सामना करना पड़ा था। इसके बाद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को संबंधित मामले को दूसरे जस्टिस को सौंपने का आदेश दिया।