संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ जेएनयू परिसर में एक आयोजन में राष्ट्रविरोधी नारों को लेकर जारी विवाद के बीच विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने लोगों से संस्थान को राष्ट्रविरोधी करार नहीं देने की अपील की। वहीं कुलपति जगदीश कुमार ने रविवार को छात्रों व शिक्षकों से अपील की कि वे इस घटना से उपर उठें और परिसर में सामान्य स्थिति लौटाने के लिए मदद करें। उन्होंने कहा कि शिक्षक इस विश्वविद्यालय के शैक्षिक माहौल और जीवंत चर्चा के लिए ख्यात परिवेश को बहाल करें।

शिक्षकों के एक गुट को लग रहा है कि विश्वविद्यालय का आंतरिक तंत्र पूरी तरह विकृत हो रहा है और संस्थान की स्वायत्तता का आत्मसमर्पण कर दिया गया है जबकि कुलपति का कहना है कि संवाद की आजादी के नाम पर कैंपस के बेजा इस्तेमाल की इजाजत नहीं दी जाएगी। प्रेस को जारी बयान में कुलपति ने मामले की जांच और उचित कार्रवाई को जरूरी बताया है।

दरअसल कई शिक्षक चाहते हैं कि जेएनयू के गिरफ्तार छात्र के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाई की जाए और देशद्रोह संबंधी आरोप हटा लिए जाएं। सामाजिक विज्ञान के एक प्रोफेसर ने अपना नाम सार्वजनिक नहीं करने की इच्छा जताते हुए कहा कि उस विश्वविद्यालय को राष्ट्रविरोधी करार देना क्या गलत नहीं है जो हमेशा से शैक्षणिक व लोकतांत्रिक संस्कृति के प्रतीक के रूप में खड़ा रहा है। इसे राष्ट्रविरोधियों का गढ़ बताकर इसकी छवि क्यों खराब करें? उन्होंने कहा कि हमने यहां सालों से पढ़ाया है, हमें पता है कि जेएनयू में होना कैसा होता है। हम लोगों से अपील करते हैं कि वे मौजूदा विवाद के इतर देखें और जेएनयू के साथ राष्ट्रविरोधी का ‘विशेषण’ ना जोड़ें।

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भाषा विज्ञान विभाग के एक प्रोफेसर ने कहा कि विश्वविद्यालय जांच कर रहा है, पुलिस मामले की जांच कर रही है, दिल्ली सरकार ने न्यायिक जांच का आदेश दिया है। क्या हम चीजें सामने आने का इंतजार नहीं कर सकते? विश्वविद्यालय को आतंकियों का गढ़ क्यों करार दें? बता दें कि कई शिक्षक छात्र संघ के गिरफ्तार नेता कन्हैया कुमार के समर्थन में आ गए है। कन्हैया को आयोजन के सिलसिले में देशद्रोह के आरोपों के तहत पुलिस हिरासत में रखा गया है। शिक्षकों ने कहा कि अगर छात्रों ने कुछ गलत किया है तो यह अनुशासनहीनता का मुद्दा है न कि देशद्रोह का।