जेएनयू छात्रों के एक समूह ने कश्मीर के हंडवाड़ा नगर में सुरक्षा बलों की कार्रवाई में व्यक्तियों की मौतों के खिलाफ शनिवार (16 अप्रैल) को यहां जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया और मांग की कि सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) को निरस्त किया जाए। छात्र प्रदर्शनकारी वाम समर्थक ‘ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन’ (आइसा) और ‘ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वूमेंस एसोएिशन’ (एआईपीडब्ल्यूए) के सदस्य थे। प्रदर्शनकारियों ने तख्तियां ले रखीं थीं जिस पर लिखा था ‘‘कश्मीरी जीवन मायने रखता है’’ और ‘‘अफ्सपा वापस लो, राज्य प्रायोजित हिंसा समाप्त करो।’’ इन छात्रों के प्रदर्शन में कुछ लोगों ने हल्का व्यवधान डाला जिनके बारे में माना जा रहा है वे दक्षिण पंथी समूहों के थे। कुछ लोगों ने ‘‘भारत माता की जय’’ और ‘‘वंदे मातरम’’ जैसे नारे लगाये। यद्यपि मौके पर तैनात पुलिसकर्मियों ने स्थिति नियंत्रित की।
कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हंडवाड़ा नगर में गत चार दिनों से स्थिति तनावपूर्ण है क्योंकि हिंसक प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा की गई गोलीबारी में पांच व्यक्तियों की मौत हो गई। प्रदर्शन एक लड़की से सेना के एक जवान द्वारा कथित छेड़छाड़ के खिलाफ किया जा रहा था।
बाद में लड़की का एक वीडियो भी जारी किया गया जिसमें वह सेना के जवान के खिलाफ लगे आरोपों से इनकार करती हुई दिख रही है। यद्यपि शनिवार (16 अप्रैल) को लड़की की मां ने दावा किया कि पुलिस ने उस पर बयान देने के लिए दबाव बनाया।
महिला कार्यकर्ता एवं एआईपीडब्ल्यूए सचिव कविता कृष्णन ने कहा, ‘‘हंडवाड़ा मामला इसका सबक है कि किस तरह से कानून का दंडमुक्ति के साथ खुलेआम उल्लंघन किया जाता है। कानून का उल्लंघन करते हुए नाबालिग लड़की शिकायतकर्ता की वीडियो अपलोड की गई और उसे मीडिया और सोशल मीडिया पर प्रसारित किया गया। इससे उसकी पहचान उजागर हो गई। प्रदर्शन में कश्मीर के छात्र भी शामिल थे।
जेएनयू छात्र संघ उपाध्यक्ष शहला रशीद शोरा ने कहा, ‘‘रोहित वेमुला, इरोम शर्मिला और सोनी सोरी जैसे व्यक्तियों के लिए देश में कोई स्थान नहीं है। उनके लिए भारत का विचार केवल उनकी भारत माता तक ही सीमित है जो कि माया कोडनानी और स्मृति ईरानी जैसी महिला है।’

