देशद्रोह मामले में गिरफ्तार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को गुरुवार शाम तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया। इससे पहले, बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्‍हें छह महीने के लिए अंतरिम जमानत दी थी। हाई कोर्ट ने कन्हैया को 10,000 रुपए के निजी मुचलके और इतनी की ही जमानत राशि पर अंतरिम जमानत दी थी। न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी ने बुधवार देर शाम कन्हैया कुमार को जमानत पर रिहा करने का भी आदेश दिया था। यह अलग बात है कि समय खत्म हो जाने की वजह से कन्हैया बुधवार को तिहाड़ से वापस नहीं आ सके।

अदालत ने केंद्र और दिल्ली पुलिस की दलील को मानने से परहेज किया कि जमानत जांच को प्रभावित करेगी। अतिरिक्त सालिसिटर जनरल (एएसजी) तुषार मेहता ने जमानत का कड़ा विरोध करते हुए कहा था कि सबूत हैं कि कन्हैया ने नौ फरवरी को जेएनयू परिसर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान भारत विरोधी नारे लगाए। जबकि दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने जेएनयू छात्र संघ के प्रमुख को जेल में रखने के केंद्र के रुख का कड़ा विरोध किया था।

दिल्ली हाई कोर्ट में कन्हैया कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र और आप सरकार के बीच टकराव एक बार फिर देखने को मिला। एएसजी मेहता के जरिए केंद्र और पुलिस ने कन्हैया की गिरफ्तारी का बचाव भी किया और कहा कि पर्चे और गवाहों के बयान हैं जो साफ तौर पर कहते हैं कि कन्हैया और अन्य ने अफजल गुरु के पोस्टर हाथ में लेकर भारत विरोधी नारे लगाए।

बहरहाल, कुमार को अदालत ने छह महीने के लिए अंतरिम जमानत दे दी और कहा कि उन्हें जांच में सहयोग करना होगा और जरूरत होने पर जांचकर्ताओं के सामने खुद पेश होना पड़ेगा। न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी की पीठ ने फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद कन्हैया को राहत देते हुए उन्हें 10,000 रुपए की जमानत राशि और इतनी राशि का ही मुचलका भरने को कहा। इससे पहले हाई कोर्ट ने साफ किया कि कन्हैया के लिए जेएनयू के एक संकाय सदस्य को जमानतदार बनना होगा। उन्होंने कहा कि आरोपी को एक हलफनामा देना होगा कि वे जमानत आदेश की शर्तों का किसी भी प्रकार से उल्लंघन नहीं करेंगे।

मामले में कन्हैया को 12 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था। कन्हैया और गिरफ्तार किए जा चुके जेएनयू के दो अन्य छात्रों-उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य सहित अन्य पर नौ फरवरी को जेएनयू कैंपस के भीतर एक कार्यक्रम के दौरान भारत विरोधी नारेबाजी करने का आरोप है। कन्हैया ने यह कहते हुए जमानत की गुहार लगाई थी कि उन्होंने भारत विरोधी नारेबाजी नहीं की थी जबकि दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट में कहा था कि उनके पास सबूत हैं कि आरोपी ने भारत विरोधी नारेबाजी की। गिरफ्तार किए गए दो अन्य छात्र 14 दिन की न्यायिक हिरासत में हैं।

अदालत ने दिया निर्देश, किसी भी राष्ट्रविरोधी गतिविधि में न लें भाग

* जज ने कन्हैया को हिदायत दी कि वे ऐसी किसी गतिविधि में सक्रिय या परोक्ष रूप से हिस्सा न लें, जिसे राष्ट्रविरोधी कहा जाए। इस बाबत कन्हैया कुमार से शपथपत्र भी भरने को कहा। यह भी आदेश दिया कि जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष होने के नाते वे कैंपस में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए अपने सभी अधिकार के तहत प्रयास करेंगे।

* जज ने 23 पन्ने के आदेश में कहा कि बिना निचली अदालत की अनुमति के कन्हैया देश से बाहर नहीं जा सकते हैं और उनके जमानतदार को भी आरोपी की तरह का शपथपत्र देना होगा। उन्हें जांच में सहयोग करना होगा और जरूरत होने पर जांचकर्ताओं के सामने खुद पेश होना पड़ेगा।

* जज ने कन्हैया की पारिवारिक पृष्ठभूमि पर भी विचार किया। उनकी मां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के तौर पर महज 3000 रुपए कमाती हैं और परिवार में अकेली कमाने वाली हैं। कन्हैया को राहत देते हुए उन्हें 10,000 रुपए की जमानत राशि और इतनी राशि का ही मुचलका भरने को कहा गया।

* जज ने निर्देश दिया कि आरोपी का जमानतदार संकाय के सदस्य या उनसे जुड़े हुए ऐसे व्यक्ति होने चाहिए जो उन पर न सिर्फ अदालत में पेशी के मामले में नियंत्रण रखता हो बल्कि यह भी तय करने वाला होना चाहिए जो उनकी सोच और ऊर्जा सकारात्मक चीजों में लगाना तय करे।

* उस छात्र समुदाय को आत्मअवलोकन करने की जरूरत है, जिनकी अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की तस्वीरें और पोस्टर थामे तस्वीरें रिकॉर्ड पर उपलब्ध हैं। कन्हैया बौद्धिक वर्ग से जुड़े हुए हैं। उनकी राजनीतिक विचारधारा या जुड़ाव भारतीय संविधान के तहत होनी चाहिए क्योंकि अभिव्यक्ति की आजादी पर संविधान के अनुच्छेद 19 (2) में कुछ तर्कसंगत पाबंदी है।