जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) नौ फरवरी मसला हाई कोर्ट के सख्त निर्देश के बाद शनिवार (14 मई को बदले रंग में नजर आया। जेएनयू छात्र संघ ने परिसर में छात्रों के बीच अपनी स्थिति रखी और हड़ताल वापस लेने की औपचारिक घोषणा की। आंदोलनकारियों के वकील हाई कोर्ट में इस बाबत पहले ही हलफनामा दे चुके हैं। शनिवार (14 मई) को इस बाबत दबाव बनाने के लिए ट्रेड युनियन जंतर-मंतर पहुंचे।

इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से जेएनयू प्रशासन के दिए दंड पर सशर्त रोक के बाद जेएनयूएसयू ने भूख हड़ताल खत्म कर दी। जेएनयू परिसर शनिवार (14 मई) को शांत हो गया। छात्र संघ ने 16 दिन लंबी हड़ताल खत्म करने को लेकर घोषणा की। तय हुआ कि अपनी बात पुख्ता तरीके से कुलपति के सामने रखी जाए। माना जा रहा है कि अब कुलपति शिकायतों का निपटारा करेंगे। और आंदोलनकारी छात्र फिर से विश्वविद्यालय प्रशासन के समक्ष अपील फाइल करेंगे। अगर अपील के बाद हुए फैसले से छात्र खुश नहीं होते हैं तो दो हफ्ते में दोबारा अदालत की ओर रुख कर सकते हैं। अनशन समाप्ति की घोषणा अभिभावकों के आगे आने के साथ ही हुई। हड़ताल पर बैठे दो छात्रों चिंटू और अनंत को उमर खालिद के अभिभावकों ने जूस पिलाया।

इसके बाद शनिवार (14 मई) को जंतर-मंतर पर कई श्रमिक संगठनों की ओर से संयुक्त रूप से जेएनयू प्रशासन द्वारा छात्रों को दी गई सजा को निरस्त करने व उनकी मांगों के साथ एकजुटता दिखाते हुए एटक, सीटू, एक्टू, इंटक, एआइयूटीयूसी, एमइसी, इफ्टू, यूटीयूसी, सेवा, और एलपीएफ के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने धरना दिया। संगठनों ने राष्ट्रपति को भेजे अपने ज्ञापन में कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिष्ठित संस्थान में सुनियोजित हमले के रूप में हो रही घटनाएं अत्यंत चिंता का विषय है।

नवीनतम घटना है उच्च स्तरीय जांच समिति की शर्मनाक सिफरिशें, जिनके अनुसार कई छात्रों पर 10 हजार से 20 हजार का जुर्माना लगाया गया है, तीन छात्रों का निलंबन एक का निष्कासन व दो छात्रों को हॉस्टल निकाला और दो पूर्व छात्रों के परिसर प्रवेश पर पाबंदी लगाई गई है। यह कार्यवाही पूरी तरह जनतांत्रिक प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए एक षड्यंत्रपूर्ण मानसिकता से की गई है। इस धरने व भूख हड़ताल को ट्रेड यूनियनों के विभिन्न नेताओं ने संबोधित किया। जिनमें धीरेंद्र शर्मा, विरेंद्र गौड़, संतोष राय, जिले सिंह, एम चौरसिया, बिरजू नायक, अनिमेश दास और शत्रुजीत शामिल हैं।

वक्ताओं ने जेएनयू प्रशासन की निंदा करते हुए कहा कि जेएनयू प्रशासन अपनी स्वायत्तता को दरकिनार करते हुए मोदी सरकार के इशारों पर काम कर रहा है जो कि खुलेआम संघ के एजंडे को आगे बढ़ा रही है।