Gujarat Assembly: निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी और विपक्षी कांग्रेस के 14 विधायकों को गुजरात विधानसभा से एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया। इस दौरान मार्शलों ने सभी को बाहर कर दिया। विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष सुखराम राठवा ने आंदोलनकारी सरकारी कर्मचारियों, किसानों, आंगनबाडी कार्यकर्ताओं और पूर्व सैनिकों से जुड़े मुद्दों पर आधे घंटे की विशेष चर्चा की मांग की।

जब स्पीकर निमाबेन आचार्य ने राठवा की मांग को ठुकरा दिया तो जिग्नेश मेवाणी और कांग्रेस के अन्य विधायक सदन के वेल के पास पहुंच गए और नारेबाजी करने लगे। उन्होंने ‘कर्मचारियों को न्याय दो’, ‘वन कर्मचारियों को न्याय दो’ और ‘पूर्व सैनिकों को न्याय दो’ के नारे वाली तख्तियां लहराईं।

उनकी पार्टी के सहयोगियों द्वारा लगातार नारेबाजी के बीच विपक्ष के उप नेता शैलेश परमार ने पूछा, ‘जब लगभग सभी विभागों के इतने कर्मचारी अपने लंबित मुद्दों पर आंदोलन कर रहे हैं, तो भाजपा सदन में चर्चा करने के लिए तैयार क्यों नहीं है?’

इसके बाद जब विपक्षी विधायकों ने स्पीकर के निर्देश पर अपनी सीटों पर वापस जाने से इनकार कर दिया। उसके बाद गुजरात के विधायी और संसदीय कार्य मंत्री राजेंद्र त्रिवेदी ने वेल में बैठे विधायकों को निलंबित करने का प्रस्ताव रखा। बहुमत के ध्वनि मत के साथ आचार्य ने मेवाणी और 14 अन्य कांग्रेस विधायकों को दिन के लिए निलंबित कर दिया। इसके बाद मार्शलों ने मेवाणी और कांग्रेस के 14 विधायकों को सदन से बाहर निकाल दिया।

27 साल से हमारे साथ अन्याय हो रहा: जिग्नेश

बता दें, पिछले दिनों गुजरात में कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जिग्नेश मेवाणी ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाने साधते हुए कहा था कि 27 साल से हमारे साथ अन्याय हो रहा है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि पटेलों पर जो केस हुए, वो वापस लिए गए तो एससी/एसटी के केस क्यों नहीं।

इस दौरान जिग्नेश ने कहा था कि हार्दिक पटेल के पाटीदार आंदोलन के दौरान जो मुकदमे दर्ज हुए, उनमें से 15-16 केस वापस ले लिए गए। उस दौरान पटेल समुदाय पर और भी मुकदमे लगे वो वापस ले लो, लेकिन दलितों पर लगा हुआ एक भी केस वापस लेने के लिए तैयार नहीं हैं। उल्टा मुझे असम की जेल में डाला। एक समुदाय के केस वापस लेंगे और एससी-एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों के केस वापस नहीं लेंगे तो ये क्या बताता है।