झारखंड की एक अदालत ने सोशल मीडिया में एक समुदाय विशेष के खिलाफ नफरत भरे संदेशों की सीरीज शेयर करने के मामले में एक लड़की को जमानत दे दी। हालांकि कोर्ट ने लड़की को जमानत इस शर्त पर दी कि वो मुस्लिमों की धार्मिक किताब कुरआन की प्रतियां लाइब्रेरी और पिठौरिया की अंजुमन कमेटी को देगी। अंजुमन कमेटी ने ही धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
सुनवाई के दौरान न्यायिक मजिस्ट्रेट मनीष कुमार सिंह ने कहा, ‘युवती पुलिस के साथ कुरआन शरीफ की पांच प्रतियां लेकर अंजुमन कमेटी के पास जाएं और उन्हें सौंप दे। वहां उसे एक प्रति देनी होगी। इसके बाद बाकी बची पांच पवित्र किताबों को उसे लाइब्रेरी में देनी होंगी।’ युवती के वकील रामप्रवेश सिंह ने कहा, ‘कोर्ट ने इसके लिए 15 दिनों के वक्त दिया है। साथ ही कुरआन की प्रतियां दी गईं हैं इसके भी प्रर्याप्त सबूत जमा करने का कहा है।’
बता दें कि पिठौरिया की अंजुमन कमेटी के सचिव मंसूर खलीफा की शिकायत पर 12 जुलाई को युवती को गिरफ्तार किया गया। अंजुमन कमेटी एक अल्पसंख्यक संगठन है जो सामाजिक मुद्दों पर काम करता है। हालांकि बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद सहित कई दक्षिणपंथी संगठनों ने युवकी की गिरफ्तार के खिलाफ खूब प्रदर्शन किया। इन संगठनों ने आरोप लगाया है कि युवती नाबालिग थी।
हालांकि पुलिस का मानना है कि उसकी उम्र 19 साल के करीब है, जिसने कथित तौर पर फेसबुक पर दूसरे यूजर द्वारा पोस्ट की गईं कई आपत्तिजनक पोस्ट शेयर कीं। इस मामले में आरोपी बनाई गई युवकी के खिलाफ आईपीसी की धारा 153A, 295A के तहत केस दर्ज किया गया।
मामले में झारखंड इकाई के भाजपा प्रवक्ता प्रतुल नाथ शाहदेव ने कहा कि यह हास्यास्पद था कि पुलिस ने उचित जांच के बिना युवकी को गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने कहा, ‘मुझे मीडिया के हवाले से पता चला है कि उसे इस शर्त के साथ जमानत दी गई है कि वो कुरआन शरीफ की पांच प्रतियां बांटेगी। मैंने कोर्ट का ऑर्डर देखा नहीं है, हालांकि मैंने कभी कोर्ट द्वारा दिया गया ऐसा फैसला ना कभी देखा है और नहीं सुना है।’ उन्होंने कहा कि उस पुलिस अधिकारी के खिलाफ एक्शन लिया जाना चाहिए जिसने बिना दिमाग खर्च करे युवती को गिरफ्तार किया।

