रामनवमी के दिन मध्य प्रदेश के खरगोन में हुई सांप्रदायिक हिंसा के पीछे प्रदेश बीजेपी प्रमुख विष्णु दत्त शर्मा ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का हाथ बताया है। उनका आरोप है कि पीएफआई की ओर से वहां हुई हिंसा के लिए फंडिंग की गई थी। हालांकि, उनके इस दावे में कितनी सच्चाई है, यह फिलहाल आधिकारिक तौर पर साफ नहीं हो सका है।
हालांकि, शर्मा की इस टिप्पणी पर कांग्रेसी नेता पीसी शर्मा ने पलटवार किया। कहा कि अगर खरगोन केस में पीएफआई की ओर से फंडिंग की गई है, तब तो इंटेलिजेंस ही विफल साबित हो गया है। दिल्ली की आईडी और म.प्र के इंटेलिजेंस आखिरकार क्या कर रहे हैं?
कांग्रेस नेता ने आगे दावा किया कि जब दिग्विजय सिंह की सूबे में सरकार थी, तब दंगे नहीं हुए। कांग्रेस काल में हमेशा म.प्र में शांति रही। पर बीजेपी की सरकार में दंगे हो रहे हैं।
इस बीच, कबीना मंत्री नरोत्तम मिश्रा बोले हैं- जिले में हालात काबू में हैं। संदिग्धों पर कानून के हिसाब से एक्शन लिया जाएगा। जो लोग सोशल मीडिया पर प्रदेश के अमन और चैन से खिलवाड़ करेंगे, उन्हें भी बख्शा नहीं जाएगा।
कर्फ्यू में दो घंटे की ढील, सिर्फ औरतों को बाहर निकलने की अनुमतिः खरगोन में गुरुवार को कर्फ्यू में दो घंटे की ढील देते हुए केवल महिलाओं को ही जरूरी सामान खरीदने के लिए घरों से बाहर निकलने की अनुमति दी गई। दंगा प्रभावित शहर में चार दिनों के बाद बृहस्पतिवार को सुबह 10 बजे से दी गई कर्फ्यू में दो घंटे की ढील के दौरान कई महिलाओं को तेजी से खरीदारी करते देखा गया।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि हिंसा के सिलसिले में अब तक 121 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। दरअसल, रामनवमी जुलूस के दौरान पथराव और आगजनी की घटनाओं के बाद रविवार शाम को खरगोन शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया था। सूबे के कुछ हिस्सों में रविवार से हिंसक घटनाओं के मद्देनजर प्रदेश सरकार ने आगामी त्योहारों के लिए सभी जिलों में अधिकारियों को अलर्ट जारी किया है।
इस बीच, झारखंड में रामनवमी के जश्न के दौरान हजारीबाग में डीसी और एसपी तलवार लहराते दिखे थे। लोगों के बीच हथियार भांजने से जुड़ा उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। वे इसमें हवा में धारदार तलवार चलाकर दिखा रहे हैं, जबकि आसपास मौजूद लोग हूटिंग कर रहे थे। हालांकि, वहां भीड़ में से कुछ लोगों ने उनके वीडियो भी रिकॉर्ड कर लिए, जो अब सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स के जरिए सामने आए हैं। यूजर्स जिम्मेदार अफसरों की ओर से तलवार लहराने पर सवालिया निशान लगा रहे हैं।